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भारत के “मोस्ट एक्टिव सांसदों” से तो मिल लीजिये!

एजेन्सी/  supriya-sule-1-20-1458465591राजनीति की विविध पृष्ठभूमि से आने वाले सांसदों के बीच किसी भी तरह की समानताओं को देख निश्चित तौर पर जहन अचरज की स्थिति में पड़ जाता है। उदाहरण के तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी से ताल्लुकात रखने वाले धर्मेंद्र यादव, शिवसेना की ओर से शिवाजी अधलराव पाटिल, कांग्रेस से राजीव सातव और फिलवक्त ‘भारत माता की जय’ न बोलने के विवाद से जूझ रहे एआईएमआईएम के असददुद्दीन ओवैसी।

 दरअसल ये उन चु्निंदा सांसदों में से हैं, जो सदन में सबसे ज्यादा सक्रिय माने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक इन सांसदों ने 16वीं लोकसभा में अब सबसे ज्यादा सवाल उठाए हैं। यूं कह सकते हैं कि ये हमारे मोस्ट एक्टिव सांसदों में से हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव की रिसर्च में टॉप फाइव- सुप्रिया सुले, महाराष्ट्र के बारामती से सांसद, 509 सवालों के साथ टॉप पर हैं। शिवाजी अधलराव पाटिल, पुणे के श‍िरूर से सांसद है, जिन्हों ने 459 सवाल किये। राजीव, महाराष्ट्र के हिंगोली से कांग्रेस पार्टी के सांसद, 459 सवाल किए। धर्मेंद्र यादव, यूपी के बदायूं से समाजवादी पार्टी के सांसद के नाम 453 सवाल हैं। असदउद्दीन ओवैसी, हैदराबाद से सांसद, जिन्होंने 414 सवाल पूछे। महाराष्ट्र के हिंगोली से कांग्रेस पार्टी के सांसद राजीव सांसद सवालों की फेहरिस्त में कुछ ज्यादा पीछे नहीं हैं, रिसर्च के दौरान उन्होंने अब तक 459 सवाल किए हैं। जबकि बदायूं से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव के नाम 453 सवाल और ओवैसी के नाम के साथ 414 सवाल दर्ज हैं। निचले सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के तौर पर अपनी पहचान बनाए हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया 380 सवालों के साथ सूची में अगले स्थान पर काबिज हैं। वहीं उनके समकक्ष भाजपा के अर्जुन मेघवाल 309 सवालों के साथ बेहद करीब हैं। अलग पृष्ठभूमि के अलग-अलग ‘नेता’ बहरहाल आपको बताते चलें कि ये सभी सांसद विविध पृष्ठभूमि से आते हैं। जहां सुप्रिया सुले राकांपा के प्रमुख शरद पवार की बेटी हैं, वहीं धर्मेंद्र यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। अब अगर बात की जाए शिवाजी अधलराव पाटिल की तो वे शिवसेना के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। सवाल हैं पर गफलत भरे जवाबों के साथ, जनता का जिक्र है पर सियासी फायदे के साथ, विकास है पर सवालिया के निशान के साथ। न जाने क्यों बार बार विकास की रफ्तार की बजाए, भारत की बेहतरी के बारे में विमर्शों के इतर सवाल ‘भारत माता की जय’,जातिवाद, धर्म पर तनातनी होने लगती है। जनता चाहती है सवाल हों पर भारत की बुलंदियों की खातिर, जवाब हो विकास के नए आयाम के लिए।

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