एक्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। नतीजे किसी के पक्ष में जा सकते हैं। बसपा के साथ गठबंधन न करना कांग्रेस की बड़ी भूल तो नहीं थी।
नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को 2019 के लोकसभा का सेमीफाइल माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए स्थिति करो या मरो जैसी है। तेलंगाना छोड़कर बाकी राज्यों में कांग्रेस अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी। शुक्रवार को आए एक्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। एग्जिट पोल में दोनों दलों के बीच का फासला महज कुछ सीटों का है। ऐसे में बसपा के साथ गठबंधन न होना कांग्रेस के सपनों पर पानी फेर सकता है। इंडिया टुडे और एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है। इंडिया टुडे एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 104 से 122 सीटें और बीजेपी को भी 102 से 120 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि बसपा को 3 और अन्य को 3 से 8 सीटें मिलने का अनुमान है।
वोट शेयर में भी दोनों के बीच मामूली अंतर दिख रहा है। कांग्रेस को 41% और बीजेपी को 40% वोट मिल सकते हैं। बसपा के 4 फीसदी और अन्य को 15 फीसदी वोट मिल सकता है। ऐसे में अगर कांग्रेस और बसपा मिलकर चुनाव लड़ते तो वोट फीसदी जहां 45 फीसदी होता तो सीटों में बड़ा इजाफा हो सकता था। ऐसे में बीजेपी को कांग्रेस टक्कर ही नहीं बल्कि करारी मात देकर सत्ता में वापसी कर सकती थी।
सी वोटर, एबीपी और चाणक्य के एक्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। जबकि टाइम्स नाऊ के सर्वे में बीजेपी सत्ता में एक बार फिर वापसी कर रही है। हालांकि सभी सर्वे में बसपा और अन्य को 3 से 8 सीटों के बीच मिलती दिख रही है। बता दें कि मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेस-बसपा के बीच चुनाव से पहले गठबंधन की बातें चल रही थी।
लेकिन मायावती ने गठबंधन न होने का ठीकरा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर फोड़ा था। इसके बाद कांग्रेस दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी। मध्य प्रदेश के चंबल, बुंदेलखंड और यूपी से सटे जिलों में बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। बसपा ने तकरीबन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। ऐसे में हर सीट पर उन्हें कुछ न कुछ वोट मिले हैं। जबकि अगर दोनों के बीच गठबंधन होते तो ये वोट बसपा के बजाय कांग्रेस को मिलते। इस तरह कांग्रेस कांटे की टक्कर नहीं बल्कि सत्ता में स्पष्ट बहुमत के साथ वापसी करती नजर आती। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी बसपा को कुछ सीटें मिलती दिख रही है। हालांकि ज्यादातर एक्जिट पोल कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिखा रहे हैं। बसपा साथ मिलकर चुनाव कांग्रेस चुनावी मैदान होती तो सीटों में और भी ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती थी।