विश्व बैंक ने बताया कि इस धन राशि का उपयोग ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूह बनाने तथा बाजार, सार्वजनिक सेवाओं तथा वित्तीय सेवाओं तक पहुंच उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा। उन्हें वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य औपचारिक प्रतिष्ठानों के जरिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाएगी। परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कम्पनियों की स्थापना के लिए मदद की जाएगी। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराए जाएंगे। समेकित बाल विकास कार्यक्रम तथा स्वच्छ भारत अभियान के जरिए पोषण, हाइजिन तथा साफ-सफाई को बढ़ावा इस परियोजना का लक्ष्य होगा। जीविका का पहला चरण 2007 में शुरू किया गया था। इसके तहत 42 प्रखंड तथा छह जिलों में यह परियोजना चलाई गई थी।
वर्ष 2012 में इसके लिए और वित्तीय सहायता उपलब्ध करा कर 60 प्रखंडों तक इसका विस्तार किया गया। इससे गरीब घरों की लगभग 18 लाख महिलाओं को फायदा हुआ है। इसके तहत डेढ़ लाख स्वयं सहायता समूह बनाए गए। इन समूहों को 9 हजार 500 ग्रामीण संगठनों के तहत रखा गया जिन्हें पुन: 161 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाकर उनके तहत लाया गया। दूसरे चरण में आजीविका-2 के तहत उन 32 जिलों और 300 प्रखंडों को शामिल किया जाएगा जो पहले चरण का हिस्सा नहीं थे। परियोजना के ऋण दस्तावेज पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव राज कुमार, बिहार सरकार की ओर से ग्रामीण विकास विभाग में सचिव अरविंद कुमार चौधरी तथा विश्व बैंक की तरफ से भारत में कार्यवाहक निदेशक जॉन ब्लामकिस्ट ने हस्ताक्षर किए।