ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश, 2 डॉक्टर समेत 10 लोग गिरफ्तार
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने रविवार को ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन बनाकर बेच रहे थे। इनके पास से 3000 से ज्यादा नकली इंजेक्शन बरामद किए गए हैं, कुल 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें 2 डॉक्टर हैं। निज़ामुद्दीन पश्चिम इलाके में बने एक घर में जब क्राइम ब्रांच ने छापा मारा तो बड़े पैमाने पर नकली इंजेक्शन का जखीरा मिला, कुल 3293 इंजेक्शन मिले। इनके नकली ज्यादातर इंजेक्शन ब्लैक फंगस की बीमारी में काम आने वाली दवा लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बी के थे, जबकि कुछ इंजेक्शन रेमडेसिवियर के थे। इनमें 300 इंजेक्शन एक्सपायर हो चुके थे जबकि बाकी इंजेक्शन सामान्य फंगस में काम आने वाली दवा से बनाए गए थे, जिनका इस्तेमाल ब्लैक फंगस के इलाज में नहीं किया जाता लेकिन इनको ये ब्लैक फंगस के इंजेक्शन का लेबल लगाकर बेच रहे थे।
अब तक गिरोह के 10 लोगों को गिरफ़्तार किया गया
पुलिस के मुताबिक 17 जून को दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल विभाग से शिकायत मिली कि इस तरह नकली इंजेक्शन मिल रहे हैं, उसके बाद अलग-अलग जगहों से इस गिरोह के 10 लोगों को पकड़ा गया, जिनके नाम इस प्रकार है। जामिया नगर से डिलीवरी बॉय वसीम खान को पकड़ा गया, फिर खिदमत मेडिकोज का मालिक शोएब खान और उसके सेल्समैन मोहम्मद फैज़ल यासिन और अफ़ज़ल पकड़े गए। मयंक तलूजा जो इंजेक्शन का पैसा लेने आया था वो भी पकड़ा गया। शोएब खान ने बताया कि वो ये इंजेक्शन साकेत में मेडीज़ हेल्थकेयर के मालिक शिवम भाटिया से लाता था। शिवम भाटिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। शिवम ने बताया कि वो ये इंजेक्टशन आफताब नाम के शख्स से लाता है। आफताब को निज़ामुद्दीन से जबकि उसके बड़े भाई अल्तमस हुसैन को देवरिया से पकड़ा गया। इसके बाद मेडीज़ हेल्थकेयर का मालिक डॉक्टर आमिर और डॉयरेक्टर फैजान पकड़ लिया गया है।
आमिर ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस किया है, उसने ऐसा दावा किया है जबकि फैजान ने बीटेक किया है। डॉक्टर अल्तमश ने लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और फिर एम्स से न्यूरोलॉजी से डिप्लोमा किया है लेकिन इनकी डिग्रियों पर पुलिस को शक है क्योंकि अल्तमस ने बारहवीं 27 साल की उम्र में किया है, ऐसे में वो डॉक्टर की डिग्री कैसे ले ली। साथ ही वो ठगी के 5 केसों में गिरफ्तार हो चुका है, अब जांच की जाएगी कि ये इंजेक्शन कितने खतरनाक थे और इनके इस्तेमाल से लोगों की जान को कितना खतरा हो सकता था।
DCP क्राइम ब्रांच दिल्ली मोनिका भारद्वाज ने बताया कि एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग की सूचना मिली। हमने छापेमारी में एक व्यक्ति को गिरफ़्तारी की गई, उससे पूछताछ के बाद पता चला कि मेडिकल स्टोर में शिवम भाटिया नामक एक व्यक्ति द्वारा सप्लाई की जा रही है। शिवम भाटिया ने हमें 2 लोगों के नाम बताए। उन लोगों को हमने गिरफ़्तार किए। पूरे मामले में किंगपिन डॉ. अल्तमश हुसैन को भी हमारी टीम ने गिरफ़्तार किया गया। भारद्वाज ने बताया कि हमने गिरफ्तार आरोपियों में से 2 डॉक्टर आमिर और डॉक्टर अल्तमस से उनके कारनामों पर बात की। हालांकि, दोनों का कहना है वो कोरोना की दूसरी लहर से पहले ये इंजेक्शन रख जरूर रहे थे लेकिन ब्लैक मार्केटिंग उनके आगे की चेन ने की और खुद को बेकुसूर बता रहे हैं लेकिन पुलिस के पास इनके खिलाफ पक्के सबूत लगे हैं। अब तक ये गैंग 400 से ज्यादा नकली इंजेक्शन बेच चुका है, 250 का इंजेक्शन 12000 रुपए तक बेचते थे। क्राइम ब्रांच इनकी कस्टडी लेकर इनके और साथियों की तलाश कर रही है। साथ ही इनकी डिग्री की असलियत पता लगाने के साथ डॉक्टर्स से भी कंसल्ट कर रही है।