भाई को अंतिम विदाई देने पर रोने बिलखने लगी बहनें, अर्थी के पास ही बांधी राखी
धनबाद। सोनू…रे सोनू! अब किसको राखी बांधेंगे रे सोनू। अब कौन हमें दीदी बुलाएगा रे भाई। ये शब्द उन बहनो के थे जिनका भाई रक्षाबंधन से पहले उन्हें छोड़कर चला गया। झारखंड राज्य के धनबाद में एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। यहाॅं पर एक घर के बाहर कुछ लोगों का जमघट लगा था। लोग यहाॅं पर शांत खड़े थे। घर के बाहर कंडों का धुंआ नज़र आ रहा था और बीच बीच में करूण रूदन सुनाई दे रहा था। महिलाओं, पुरूषों के रोने बिलखने की आवाज़े आ रही थीं। इन आवाजों और गमगीन वातावरण के बीच कुछ लोग बांसों और खपच्चियों से अर्थी तैयार कर रहे थे।
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जब अर्थी पर एक युवक के शव को रखा गया और फिर उस पर पुष्प हार आदि चढ़ाए गए तो लोगों का रोना बिलखना तेज़ हो गया। कुछ युवतियां और महिलाऐं तो अर्थी पर रखे गए युवक के शव को देखकर बदहवास हो गईं। यह बेहद मार्मिक दृश्य था। युवतियां बेहद गम में थीं। इनका रोना जारी था। दरअसल रक्षाबंधन के चंद दिनों पूर्व इनका भाई सदा के लिए इनसे विदा हो गया था।
बहनों ने अपने इकलौते भाई के लिए राखी खरीद रखी थी। मगर भाई के जीते जी वे राखी नहीं बाॅंध पाईं। इसके बाद जब उसकी अंतिम यात्रा का अवसर आया तो बहनों ने कहा कि भाइ शिव जिसे सभी सोनू कहते थे उसे कहाॅं ले जा रहे हो। इसे राखी भी बाॅंधी नहीं है। बहनों ने उसकी अर्थी के पास अपनी खरीदी हुई राखियों को बाॅंध दिया। हालात ये थे कि माॅं ने जब बेटे का शव देखा तो माॅं के आंसू तक थम नहीं रहे थे।
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वह सदमे के चलते बेहोश हुए जा रही थी। सभी सोनू की शादी की तैयारियाॅं करने वाले थे। बहू के लिए तो जेवर तक तैयार करवा रखे थे मगर अब तो युवक को ही हमेशा के लिए विदा करने की बारी आ गई। युवक की मां को लोग जैसे तैसे संभाल रहे थे।
हालांकि अभी इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि युवक की मौत कैसे हुई। युवक की मृत्यु पर पार्षद प्रतिनिधि अशोक यादव, रंजीत कुमार उर्फ बिल्लू, नीलूकांत सिन्हा, सरजू सिंह, आरपी सिंह, ललन मिश्रा, मनोज गुप्ता, मनोज सिंह, दिनेश यादव, अशोक कुमार गुप्ता, संजय सिंह, ब्रजेश कुमार, दीपू कुमार, गुड्डू सिंह आदि ने शोक जताया।