भारतीय अंतरराष्ट्रीय साइंस फेस्ट-2017 से लौटा छात्रों का दल
भोपाल : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के एम. फिल के छात्रों द्वारा भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ 2017) चेन्नई में राउंड टेबल मास कम्युनिकेशन मीट में हिस्सा लिया गया. शोधार्थी छात्रों द्वारा शोध की बारीकियों को जानने के लिए विश्वविद्यालय और संचार शोध विभाग इसके लिए प्रयासरत है. इस संचार फेस्ट में पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के छात्रों का प्रतिनिधित्व दल 13-14 अक्टूबर को चेन्नई में रहा और वहां पर आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शोध के नये- नये आयाम को जाना. शोधार्थी व्योमकेश पाण्डेय ने बताया कि जहाँ भी विज्ञान संचार का प्रश्न आता है हमारे मस्तिष्क में विविधि प्रकार के सयंत्रों का बोध होने लगता है. विविधि आधुनिक उपकरणों का अविष्कार नहीं हुआ था तब लोककलाओं, लोकनाट्य आदि के माध्यम से संचार का काम लिया जाता था. विज्ञान संचार का उद्देश्य अंधविश्वास को जड़ से उखाड़ फेकना भी है. विज्ञानं संचार हेतु कठपुतली के प्रदर्शन से जहाँ जनता में तार्किक सोच का विकास होता है तथा वैज्ञानिक तथ्यों को समझने की क्षमता विकसित होती है.
साक्षी द्विवेदी ने बताया कि विज्ञान संचार एक प्रभावी माध्यम है इसको किस तरह से उपयोग में लाया जाए और उसके माध्यम से जो भी हमारी कमियां है उसको दूर किया जाये. दीक्षिता आरोरा ने हेल्थ संचार की बात की और कही की आज हमारे साइंटिस्ट दिन-रात मेहनत कर के दवा की खोज कर रहे हैं. आकांक्षा माहेश्वरी ने विज्ञान के आने से कितना जोखिम में हम रहने लागे है उससे बचाव की जरूरत है, विज्ञान संचार में इतने साल बाद भी कोई ज्यादा काम नहीं हुआ है यहाँ पर वैज्ञानिक अपना काम न करके उनसे शिक्षा पर काम लिया जा रहा है जो वास्तविक जरूरत है उसको पूरा नहीं किया जा रहा है. स्वेता रानी ने कहा यदि विज्ञान को शून्य कर दिया जाये तो हमारे सामने कई तरह की कठिनाइयाँ आएंगी और जीवन सम्भव नहीं रह पायेगा. ललितांक जैन ने साइंस फेस्ट में अपनी बातों को प्रमुखता से रखते हुए कहा की देश के सामने अच्छे शिक्षक की कमी है, उनको सही प्रोत्साहन नहीं मिल पाने से वो इस क्षेत्र से दूरी बनाते रहते हैं.