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भाेपाल ऐसे बनेगा स्मार्ट सिटी, ये हैं 12 फाॅर्मूले

smart1_1444438246भोपाल. स्मार्ट सिटी का मसौदा कैसे बने? क्या विदेशी शहरों की नकल की जाए? कौनसे प्रोजेक्ट लिए जाएं? ऐसे ही तमाम सवाल सबके दिमाग में हैं। इनके जवाब दिए आस्ट्रेलिया के एडीलेड शहर के पूर्व मेयर व स्मार्ट सिटी विशेषज्ञ स्टीफन यारवुड ने। वे शुक्रवार को गोविंदपुरा स्थित स्मार्ट सिटी सेल में भोपाल का स्मार्ट सिटी विजन तैयार करने के लिए नगर निगम अफसरों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा-बड़े प्रोजेक्ट्स के बजाय जनता से जुड़ी छोटी-छोटी सुविधाओं पर ध्यान दे। जैसा कि एडीलेड में हुआ।
 
महापौर आलोक शर्मा के साथ शहर के लोगों ने भी यारवुड से चर्चा की। यारवुड ने कहा कि नेता लोगों से लगातार संवाद करें, उन्हें जोड़ें तो अपने आप शहर स्मार्ट हो जाएगा। कोई शहर सड़कों, ब्रिज, फ्लाईओवर से नहीं बनता, बल्कि लोगों से बनता है। इसलिए उनके साथ बातचीत कर शहर की लाइफ स्टाइल सुधारी जाए। यारवुड पूरी दुनिया में साइकिलिंग का प्रचार करते हैं। लिहाजा एयरपोर्ट से लालघाटी आने के बाद उन्होंने अपर आयुक्त चंद्रमौलि शुक्ला के साथ साइकिलिंग की। पूरा कार्यक्रम अंग्रेजी में था। नगर निगम परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान ने अफसरों को विश्व हिंदी सम्मेलन की सीख याद दिलाई।
 
दुनिया के जाने-माने स्मार्ट सिटी विशेषज्ञ और एडीलेड के पूर्व मेयर स्टीफन यारवुड-
 
सवाल – एडीलेड को स्मार्ट बनाने के लिए कौनसे कदम उठाए…
जवाब – तीन कदम उठाए। पूरे शहर को वाई-फाई करने का छोटा सा कदम बड़ा काम था। फिर पब्लिक प्लेस विकसित किए। इससे लोगों की लाइफ स्टाइल में बदलाव आया। तीसरे कदम पर गौर कीजिए-हमने सबसे पहले शहर को पैदल चलने के लिए बनाया, फिर साइकिल, बस और अंत में कारों के लिए।

 
सवाल – स्मार्ट सिटी के लिए भोपाल में क्या कदम उठाए जाएं?
जवाब – भोपाल खूबसूरत शहर है। यानी इसकी खूबसूरती को आधार बनाकर स्मार्ट सिटी विकसित की जा सकती है। सबसे जरूरी तकनीक का प्रयोग है। हर साल प्लानिंग की समीक्षा करनी होगी। कई सालों की कोशिशों के बाद स्मार्ट सिटी बनेगी। अचानक या सिर्फ ऊंची इमारतें खड़ी करके नहीं। यहां हैरिटेज और टूरिज्म की संभावना है, तो इसे भी स्मार्ट सिटी में लिया जा सकता है।
 
सवाल – आपके यहां पैसा है। भोपाल की स्थिति अलग है…
जवाब – दुनिया का ऐसा कोई शहर नहीं है, जिसे पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ा है। बात प्लानिंग की है। यदि बेहतर प्लानिंग होगी तो विकास अपने आप होगा। छोटे-छोटे कदम ही शहर काे रहने योग्य बनाने के लिए पर्याप्त होते हैं।
 
एडीलेड : आबादी-13 लाख, एरिया -150 वर्ग किमी
ट्रैफिक- एडीलेड में एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए 20 मिनट तक का वक्त लगता है। लोग कार की बजाय साइकिल चलाते हैं ज्यादा दूरी के लिए मेट्रो या बस का उपयोग करते हैं। इसलिए सड़कों पर ट्रैफिक न के बराबर है।
प्लानिंग 175 साल पहले प्लानिंग करके एडीलेड को बसाया गया। 1960 में यहां ट्रांसपोर्ट प्लानिंग कर ली गई थी।
भोपाल : आबादी-19 लाख, एरिया -413 वर्ग किमी
ट्रैफिक- भोपाल में मिसरोद से बैरागढ़ तक की 25 किमी की दूरी तय करने में एक से डेढ़ घंटा लगता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का कम उपयोग। एसी लो फ्लोर बसें भी बंद ।
प्लानिंग -भोपाल की प्लानिंग एक हजार साल पहले राजा भोज ने की थी। अभी हाल यह है कि दस साल से मास्टर प्लान नहीं है। अनियोजित विकास है। ट्रांसपोर्ट प्लानिंग लागू नहीं हुई है।

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