नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2013 के भूमि अधिग्रहण बिल पर यू टर्न लिया है। सरकार इस बिल के सभी बड़े संशोधन वापस ले रही है। जानकारी के अनुसार सरकार भूमि बिल में विपक्ष के अधिक से अधिक संशोधन शामिल करने को राजी हो गई है। सूत्रों के अनुसार सरकार 6 बड़े संशोधन वापस ले रही है, जिनमें सहमती का क्लॉज वापस लिया गया है। साथ ही स्पेशल केटेगरी क्लॉज, औद्योगिक का प्रस्ताव, द सहमति का क्लॉज और सामाजिक आकलन का प्रस्ताव भी वापस ले लिया गया है। इस तरह 2013 का कानून जस का तस ही रहेगा। संप्रग सरकार ने साल 2013 में पारित किए भूमि अधिग्रहण बिल के अधीन अधिग्रहण होने वाली जमीन में किसानों की सहमति को अनिवार्य कर दिया था, लेकिन मोदी सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए सहमति को पूरी तरह खत्म कर दिया। इसके बाद विपक्षी दलों और बीजेपी के कुछ सहयोगी दलों ने इसे किसान विरोधी मानते हुए इस बिल का विरोध किया।
भाजपा के लोकसभा सदस्य एसएस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक सोमवार को फिर होनी थी लेकिन अहलूवालिया ने समिति की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया जिसे लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने स्वीकार कर लिया। अब समिति की अगली बैठक 7 अगस्त को होगी। सूत्रों का कहना है कि मानसून सत्र में इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार इसके विवादास्पद प्रावधानों को वापस लेने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि विपक्ष इस विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर अड़ा हुआ है और समिति की बैठकों में भी उसने इसका कड़ा विरोध किया है। समिति की अगली बैठक के बाद संसद की कार्यवाही के बहुत कम दिन बचेंगे क्योंकि मानसून सत्र 13 अगस्त तक ही है।