टॉप न्यूज़राज्य

मामले के निपटारे के बावजूद अपील करने पर न्यायालय ने लगाया 5 लाख रूपये का जुर्माना

नई दिल्ली : एक व्यक्ति ने खुद को नोएडा में अपनी जमीन के लिए मिले मुआवजे को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने उस पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरूपयोग है क्योंकि मामले का निपटारा पहले ही किया जा चुका है।

मामले के निपटारे के बावजूद अपील करने पर न्यायालय ने लगाया 5 लाख रूपये का जुर्माना

न्यायमूर्ति अरूण मिश्र और न्यायमूर्ति एम एम शान्तानागौदर की पीठ ने व्यक्ति की इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने खुद को दिए गए मुआवजे को चुनौती दी थी। यह मुआवजा उसे नोयडा में सुनियोजित औद्योगिक विकास के लिए राज्य द्वारा जमीन अधिग्रहित किए जाने के एवज में दिया गया था।

पीठ ने कहा ”उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश इस मुद्दे का निपटारा कर चुके हैं। यह कानून का दुरूपयोग है। यह क्या हो रहा है। हम आप पर उतना जुर्माना लगाएंगे जिसे इस देश के लोग याद रखेंगे।”  इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी अपील गलत  तरीके से खारिज कर दी।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वर्ष 2005 से 2010 के बीच सुनियोजित औद्योगिक विकास के नाम पर कई गांवों के किसानों की कृषि और ‘रिहायशी भूमि का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण किया गया था।  पीठ ने कहा कि एक बार मामले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला दिया जा चुका है फिर इसे बार बार नहीं उठाया जा सकता। पहले पीठ 25 लाख रूपये का जुर्माना लगाना चाहती थी। तब वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक गरीब किसान है और भारी मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सात दिसंबर 2016 को याचिकाकर्ता रणवीर सिंह की अपील खारिज कर दी थी। सिंह ने नोएडा में अधिग्रहित अपनी जमीन के एवज में मिले मुआवजे को चुनौती दी थी। सिंह की जमीन उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहित की थी। इस अधिग्रहण को सिंह ने चुनौती दी थी जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। तब सिंह ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

उच्चतम न्यायालय ने 14 मई 2005 को अपने फैसले में उच्च न्यायालय की व्यवस्था को बरकरार रखा।  इसके बाद सिंह को गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (भूमि अधिग्रहण) ने पूरक मुआवजा दिया जिसे सिंह ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उसने कहा कि अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को उसे मुआवजे का आदेश देने का अधिकार नहीं है क्योंकि भूमि अधिग्रहण कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

Related Articles

Back to top button