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मिसाल, बुजुर्ग ने अपने दम पर हरा भरा बना दिया शहर

onkar-chand-sharma-5699cbdd10cda_exlstअलसुबह घने कोहरे में जब आप बिस्तर में आराम फरमा रहे होते हैं तो ओंकार चंद शर्मा एक ठेले में पानी लेकर जिला मुख्यालय में फोरलेन हाईवे की ओर निकल पड़ते हैं। सड़क के बीचोंबीच अपने हाथ से रोपे गए कनेर के 950 पौधों को एक-एक करके गुड मॉर्निगिं कहकर जगाते हैं और उन्हें पानी से सींचते हैं। बच्चों की तरह उनकी देखभाल करने के बाद रात को उन्हें गुड नाइट कहकर सुलाना भी नहीं भूलते हैं। 
भले ही यह अटपटा लगे, लेकिन ऊना के मलाहती निवासी रिटायर सीनियर बैंक मैनेजर ओंकार शर्मा (63) पर्यावरण को बचाने के लिए रोजाना ऐसा ही कर रहे हैं। अपने स्तर पर अकेले ही शहर को हरा-भरा करने उतरे ओंकार के साथ अब एक दर्जन से ज्यादा लोग जुड़ गए हैं। ओंकार का लक्ष्य ऊना शहर और आसपास के क्षेत्रों में 4000 पौधे रोपने का है। बकौल, ओंकार चंद वह बंगलूरू की तर्ज पर ऊना को ग्रीन सिटी बनाना चाहते हैं। हालांकि, वन विभाग या जिला प्रशासन से इस पर्यावरण प्रेमी को प्रोत्साहित करने के लिए किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है।

मुश्किल से मिली विभाग से अनुमति- ओंकार चंद के लिए हाईवे पर पौधे रोपने में कई चुनौतियां आड़े आईं। ओंकार ने लोक निर्माण विभाग के पास निजी स्तर पर पौधे लगाने के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। बाद में उन्होंने ट्रायल के आधार पर विभाग को अपने प्रोजेक्ट से रूबरू कराया। उसके बाद विभाग इसके लिए सहमत हुआ। आज लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर चलाए जा रहे वन महोत्सव को अकेले इंसान ने पीछे छोड़ दिया है।

क्या है चाइना कनेर की खासियत- ओंकार के रोपे पौधे चाइना कनेर की चौड़ाई कम और लंबाई ज्यादा होती है। इससे हाईवे पर यातायात में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती। वे अपना जुनून पूरा करने के लिए यूपी के सहारनपुर से पौधे लाते हैं। वे ऊना में रेडलाइट चौक से लेकर श्मशानघाट तक तथा शहर से माउंट कार्मल स्कूल तक पौधे लगाना चाहते हैं। उनके साथ इंद्रजीत, रणजीत सैणी, मदन, डॉक्टर हरजिंद्र और उनकी पत्नी सहित अन्य सहयोग कर रहे हैं।

दोहते की असमय मौत से भी बदला मन- ओंकार चंद के पांच वर्षीय दोहते की बीमारी के चलते मौत हो गई। इस पीड़ा को ओंकार ने पेड़ों से जोड़ लिया। वे पौधों से अपना नाती समझकर बातें करते हैं। उनकी देखभाल भी बच्चे की तरह करते हैं। उन्होंने ठान लिया कि वे अपने नाती की याद में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर समाज को संदेश देंगे।

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