मीडिया द्वारा पूछे गये सवाल पर सुरेश भैया जोशी ने कहा- योगी हिंदुत्व का चेहरा नहीं…
लखनऊ. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार को मीडिया से बातचीत में संघ के सर कार्यवाहक सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, “योगी एक राज्य के सीएम हैं, वे पूरी जिम्मेदारी से अपनी बात कहते हैं, इसलिए उन्हें हिंदुत्व नहीं, राष्ट्रीयता के चेहरे के तौर पर देखा जाना चाहिए।” सुरेश भैयाजी जोशी RSS की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक के समापन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आए थे।
मीडिया ने पूछा था ये सवाल
– मीडिया ने सवाल पूछा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी का उपयोग पोस्टर ब्वॉय की तरह किया जा रहा है। वो कई जगह प्रचार कर रहे हैं, क्या योगी आज भी हिंदुत्व का चेहरा हैं।
संघ के लिए राष्ट्रीयता का चेहरा महत्वपूर्ण
-उन्होंने ये भी कहा,”संघ के लिए राष्ट्रीयता का चेहरा महत्वपूर्ण है। सत्ता का संचालन करने वाले जो व्यक्ति होते हैं, वे जिम्मेदारी से और सही बातें करते हैं, इसलिए योगी राष्ट्रीयता का चेहरा हैं।”
योगी बने तीसरे बड़े चुनावी फेस
– योगी यूपी के मुख्यमंत्री बनने के 6 माह के अंदर ही बीजेपी के तीसरे सबसे बड़े चुनावी फेस बन गए हैं। उन्होंने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। योगी ने शुक्रवार को वलसाड में रोड शो किया। वह गुजरात में मोदी और शाह के बाद रोड शो करने वाले पहले नेता हैं। इससे पहले वह केरल में भी पार्टी की जनरक्षा यात्रा में शाह के बाद बतौर नंबर दो नेता शामिल हुए थे।
मोदी के बाद सबसे बड़े हिंदू फेस
– यूपी चुनाव के बाद योगी हिमाचल और गुजरात में पहली बार बतौर स्टार कैंपेनर उतरेंगे। योगी से पहले मोदी भाजपा के सबसे बड़े हिंदुत्व फेस माने जाते रहे हैं।
– वह जब गुजरात के सीएम थे तो पार्टी के स्टार कैंपेनरों में उनका नाम सबसे ऊपर होता था। अब मोदी की छवि विकासवादी नेता की है। ऐसे में पार्टी हिंदुत्व फेस के लिए योगी को सबसे फिट मान रही है।
योगी का हिंदुत्व मॉडल
– यूपी में योगी की छवि कट्टर हिंदू नेता की रही है। यूपी चुनाव में उन्होंने 200 चुनावी सभाएं की थीं।
– अब सीएम बनने के बाद भी योगी अपने ‘हिंदुत्व मॉडल’ को आगे बढ़ा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अयोध्या के सरयू तट पर भगवान राम की 100 मीटर की मूर्ति और दीपावली महोत्सव मनाने की घोषणा की थी।
25 सीटों पर उत्तर भारतीयों का असर
– बीजेपी योगी के जरिए गुजरात में उत्तर भारतीय वोटर्स को साधना चाहती है। राज्य में 25 सीटें ऐसी हैं, जहां उत्तर भारतीय हार-जीत में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। खासकर, सूरत, अहमदाबाद क्षेत्र में।