म्यांमार: 48 घंटों से जारी हिंसा, जान बचाने के लिए घर छोड़कर भाग रहे रोहिंग्या मुसलमान
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म्यांमार सरकार पर नस्लीय हिंसा का आरोप
बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। यहां कई सालों से रोहिंग्या और बौद्धों के बीच संघर्ष चल रहा है। इससे पहले भी दसियों हजार रोहिंग्या जान बचाकर बांग्लादेश भाग चुके हैं। रोहिंग्या लोग म्यांमार सरकार पर नस्लीय हिंसा का आरोप लगाते रहे हैं।
म्यांमार के सबसे गरीब प्रांत रखाइन में दस लाख से अधिक रोहिंग्या रहते हैं। कई तरह के प्रतिबंधों की वजह से रोहिंग्या समुदाय के बीच कट्टरपंथ की ओर रुझान बढ़ रहा है।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, हाल के दिनों में करीब तीन हजार रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचने में कामयाब रहे हैं जहां उन्होंने कैंपों और गांवों में शरण ली है।
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डर और दहशत की कहानियां सुना रहे हैं लोग
राहत कैंप में मौजूद एएफपी के संवाददाता के मुताबिक यहां पहुंच रहे लोग डर और दहशत की कहानियां सुना रहे हैं। एक सत्तर साल के बुजुर्ग ने बताया कि उनके दोनों बेटों की हथियारबंद बौद्ध समूहों ने हत्या कर दी और उन्हें सीमा की ओर खदेड़ दिया।
मोहम्मद जफर बताते हैं, “वो लाठियों और डंडों के साथ आए और हमें सीमा की ओर खदेड़ा।” 61 साल के आमिर हुसैन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, “हमारी जान बचा लीजिए, हम यहीं रहना चाहते हैं नहीं तो वो हमें मार देंगे।”