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ये अनपढ़ महिला अचार बेच कमाती है 2 करोड़, राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
गुड़गांव।आज के दौर में आगे बढ़ने के लिए शिक्षित होना बहुत जरुरी है, लेकिन गुड़गांव की कृष्णा यादव ने अनपढ़ होते हुए भी कामयाबी के शिखर पर परचम लहराया है। उन्होंने मात्र 500 रुपए से अचार बनाने का काम शुरू करके आज इस बिजनेस को 2 करोड़ रुपए सालाना तक पहुंचा दिया है।
इस कामयाबी पर महिला दिवस पर राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
उनके साथ लगभग 500 महिलाएं उनके साथ काम कर रही हैं। एक कमरे से अचार बनाने की शुरुआत करने वाली कृष्णा यादव आज चार लघु इकाइयां चला रही हैं। उनकी इन इकाइयों में 152 उत्पाद तैयार हो रहे हैं। उसकी इसी लगन को देखते हुए कृषि विभाग और खुद नरेंद्र मोदी भी उसे सम्मानित कर चुके हैं। इस बार 8 मार्च को महिला दिवस पर राष्ट्रपति उन्हें सम्मानित करेंगे।
खुद की जमीन में सब्जी उगाई और अचार बनाना शुरू किया
कृष्णा यादव बताती हैं कि वे यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे। रोजगार न होने के कारण उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की। मंडी में सब्जी के दाम कम मिलते थे। ऐसे में उसके पति ने कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लेने के लिए कहा। उसने 3 महीने तक प्रशिक्षण लिया और अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया। अचार तो बन गया, लेकिन फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई। ऐसे में उन्होंने सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की और सड़क पर ही अचार बेचना शुरू कर दिया। गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे अचार बिकना शुरू हुआ।
कृष्णा यादव बताती हैं कि वे यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे। रोजगार न होने के कारण उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की। मंडी में सब्जी के दाम कम मिलते थे। ऐसे में उसके पति ने कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लेने के लिए कहा। उसने 3 महीने तक प्रशिक्षण लिया और अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया। अचार तो बन गया, लेकिन फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई। ऐसे में उन्होंने सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की और सड़क पर ही अचार बेचना शुरू कर दिया। गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे अचार बिकना शुरू हुआ।
2 लोगों से काम शुरू किया आज 500 महिलाएं कर रही हैं काम
कृष्णा यादव बताती हैं कि उसने एक छोटे से कमरे में मात्र 2 लोगों से काम शुरू किया था। आज 80 महिलाएं तो चार इकाइयों में काम कर रही हैं। वहीं गांव की लगभग 400 महिलाएं अप्रत्यक्ष रुप से काम कर रही हैं। वे भी लाभान्वित हो रही हैं।
कृष्णा यादव बताती हैं कि उसने एक छोटे से कमरे में मात्र 2 लोगों से काम शुरू किया था। आज 80 महिलाएं तो चार इकाइयों में काम कर रही हैं। वहीं गांव की लगभग 400 महिलाएं अप्रत्यक्ष रुप से काम कर रही हैं। वे भी लाभान्वित हो रही हैं।