ये दादी 105 वर्ष की, नहीं गई कभी अस्पताल
वे अभी भी पूरी तरह स्वस्थ है और पड़पोते व पोतियों के साथ हंसी-मजाक भी कर लेती है। अब वे हालांकि बीते छह वर्ष से खाना नहीं खा रही है। मात्र दुध ही पी रही है।
पांच पड़पौत्र व पौत्रियां
केरी बाई का विवाह भभूतराम देवासी के साथ हुआ था। उनके सांकलाराम, केसाराम, गजाराम, गोमाराम व जवानाराम के साथ एक पुत्री लाची देवी है। अब आठ पौत्र व नौ पौत्रियों के अलावा दो पड़ पौत्र व तीन पड़ पौत्रियां है।
शुद्ध खान पान को बताती कारण
वे लम्बी उम्र का कारण शुद्ध खानपान को बताती है। उनका कहना है कि वे रोजाना दलिया, दूध, दही व घी का भोजन में उपयोग करती थी। तेल का उपयोग कभी नहीं किया। एेसा करने के लिए वे अपनी बहुओं को भी कहती है।
कभी नहीं गई अस्पताल
केरी बाई जीवन में कभी अस्पताल नहीं गई। उन्होंने बताया कि उन्हें इतनी उम्र में कभी बुखार तक नहीं आया। इस कारण अस्पताल जाने की जरूरत ही पड़ी।
1995 में बनाया था परिचय पत्र
केरी बाई ने वर्ष 1995 में परिचय पत्र बनाया था। उसमें उनकी उम्र 83 वर्ष अंकित है। उनके पुत्र जवानाराम देवासी बताते है कि मां के पड़पौते व पौत्री को देखना सुखद है।