भारत पाक सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर एक स्थान पर तारबंदी के पास बीएसएफ की महिला रेजिमेंट की गार्ड युवतियां हाथों में गन लिए सीमा पर नजरें गढ़ाए हुए हैं। मौका है बहनों के सबसे बड़े त्योहार रक्षाबंधन का।
घर और अपने भाई से भले ही दूर हो लेकिन इनके कत्तव्र्य निर्वहन में कहीं कमी नहीं। घर से डेढ़-दो हजार किलोमीटर दूर ये बेटियां देश सेवा में डटी हैं। इन बेटियों को समूचा राष्ट्र नमन करेगा जब उन्हें पता चलेगा कि इनकी वजह से वे सब अपने परिवार और घरों में महफूज हैं। अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र नहीं बांध पाई तो क्या, इस देश के हर नागरिक की रक्षा की जिम्मेदारी उठा रही इन बेटियों-बहनों की हौंसले की तारीफ में शब्द जरूर निकलेंगे।
‘बहादुर बेटी पर है देश रक्षा की जिम्मेदारी’
बॉर्डर पर तैनात मध्यप्रदेश निवासी सीमा इंगले कहती हैं मेरा कोई सगा भाई नहीं है। बॉर्डर पर इतने लाोग आए उनकी कलाई पर स्नेह का धागा बांधा और वे भाई बन गए। मन इतना हर्षित हुआ कि घर से दूर होने और सगा भाई नहीं होने का कोई अफसोस नहीं रहा। रक्षाबंधन पर बहने भाई की कलाई पर राखी बांधकर खुद की रक्षा का वचन लेती हैं लेकिन हमें तो पूरे देश की रक्षा की जिम्मेदारी मिली है। मेरी मां आज घर पर यह सोचकर खुश हो रही होगी कि उसकी बहादुर बेटी देश की रक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।
देश के कोने-कोने से हमारी सीमा पर तैनात हैं प्रहरी
भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हरदम तनाव की स्थिति रहती है। इसकी रक्षा के लिए 25 महिलाएं तैनात हैं। रक्षा सूत्र बांधने गए लोगों का कहना है कि यह कहने में गर्व महसूस हो रहा है कि जो सजगता हमारे जवान दिखाते हैं वैसी ही फुर्ती और जिम्मेदारी इन बहनों में भी हैं। देश के हर कौने से आकर यहां बॉर्डर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने वाली इन हिम्मतवालियों को नमन और जय हिंद।
निगरानी करते हुए ही मनाते हैं त्योहार
बीएसएफ जवान बबीता खेडड़ ने बताया कि न केवल रक्षाबंधन बल्कि हर त्योहार बॉर्डर की सुरक्षा करते हुए ही मनाते हैं। जब देश अमन-चैन से रक्षाबंधन मना रहा होता है तब हमें सुकून मिलता है जितना अपने भाई के हाथ पर राखी बांधते खुशी होती है। देश रक्षा की जिम्मेदारी निभाकर ही सबसे बड़ी खुशी हासिल की जा सकती है।