रामभरोसे चल रहे डिग्री कालेज
लखनऊ: एक तरफ शिक्षकों की वैकेंसीज भरे जाने की बात चल रही है तो दूसरी ओर राजधानी के 60 प्रतिशत डिग्री कॉलेजों में प्रिंसिपल ही नहीं हैं। कई साल से कुछ कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल की तैनाती ही नहीं हो पा रही है। इन कॉलेजों में कार्यवाहक प्रिंसिपल के बल पर काम चल रहा है। पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय ने नियुक्ति के लिए विशेषज्ञों का पैनल तक दे दिया। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। शहर में 20 सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों का संचालन किया जाता है। इसमें, आईटी कॉलेज, केकेसी, विद्यांत डिग्री कॉलेज समेत करीब पांच-छह डिग्री कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो अन्य करीब 60 प्रतिशत कॉलेजों में कई सालों से प्रिंसिपल ही नहीं हैं।
चारबाग स्थित केकेवी में करीब 15 साल पहले यह खाली हो गया। तभी से अस्थाई प्रिंसिपल के सहारे चल रहे है। इसका सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। नगर निगम डिग्री कॉलेज में प्रिंसिपल की तैनाती की प्रक्रिया एक बार फिर फंसा दी गई है। अपर नगर आयुक्त नंद लाल ने बताया कि प्रिंसिपल के चयन के लिए एक पैनल गठित किया था। लेकिन, इस पैनल के कुछ सदस्य तैयार नहीं है। ऐसे में दोबारा पैनल गठित करने के लिए पत्र लिखा जा रहा है।जानकारी के मुताबिक, साल 2000 से पहले कालीचरण डिग्री कॉलेज के जेएन टंडन, वीएसएनवी के डीपी बाजपेयी, अवध कॉलेज की इंदू नायर, नारी की आशा गुप्ता और एपीसेन डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल सुधा श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने से वहां के पद अभी तक खाली है। वर्ष 2000 से 2010 के बीच खुनखुन जी डिग्री कॉलेज की एसएस पाण्डे, शशिभूषण डिग्री कॉलेज की सुचित्र मिश्र, डीएवी के डीपी यादव के सेवानिवृत्त होने से पद खाली हो गए।