राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणब को धन्यवाद दिया कहा, ‘संघ’ के लिए देश में कोई भी पराया नहीं
नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष के समापन समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ‘संघ को’ सम्पूर्ण समाज का संगठन करना है इसलिए संघ के लिए कोई पराया नहीं है। भागवत ने समापन समारोह में प्रणव मुखर्जी को आमंत्रित करने और प्रणव द्वारा निमंत्रण स्वीकार करने को ‘सहज भाव’ करार देते हुए इस पर होने वाली चर्चा को निरर्थक बताया। इस दौरान भागवत ने कार्यक्रम में आने के लिए प्रणव मुखर्जी को धन्यवाद भी दिया। मोहन भागवत ने कहा, हमने प्रणव मुखर्जी को सहज भाव से निमंत्रण दिया और उन्होंने सहज भाव से स्वीकृति दी। उनको क्यों बुलाया और वह कैसे जा रहे हैं, यह चर्चा निरर्थक है। संघ, संघ है और डॉ. प्रणव मुखर्जी, प्रणव मुखर्जी हैं।’ उन्होंने कहा कि संघ का कार्य भारत के लोगों का संगठन करना है ताकि भारत को ‘परम वैभव’ तक पहुंचाया जा सके और विश्व में शांति का वातावरण बने, इसलिए ‘संघ’ में सभी का स्वागत है। उन्होंने कहा, हम सब एक हैं, पराया कोई नहीं, सबके पूर्वज एक ही हैं, सभी पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। उन्होंने कहा कि दूसरों की विविधता को स्वीकार करके उसे सम्मान देते हुए एकता बनी रहे, यह बेहद जरूरी है। स्वंतत्रता से पहले स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वाले सभी में मन में यह था कि देश की जनता को भी तैयार करना होगा। डॉ. हेडगेवार स्वतंत्रता के लिए किए गए कार्यों में रहे, कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे, दो बार कारावास भुगता, क्रांतिकारियों के साथ रहे, संतजनों के साथ रहे। उन्होंने कहा कि आरएसएस लोकतांत्रिक विचारों वाला संगठन है और सभी के विचारों को स्वीकार करता है। भागवत ने कहा कि संघ को प्रसिद्धि की आवश्यकता नहीं है, आरएसएस समाज के उन लोगों को खोजने का काम करता है जो राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित कर सकें। स्थापना के बाद विभिन्न दिक्कतों के बाद भी संघ आगे बढ़ता गया, अब संघ लोकप्रिय है। जहां जाते हैं, हमें स्नेह मिलता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस देश की प्रगति के लिए काम करने पर ध्यान केंद्रित करता है और अपनी मातृभूमि की पूजा करने के हर भारतीय का अधिकार है।