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रिटन के टॉपरों को HPPSC के इंटरव्यू में कम आया अंक, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
एजेंसी/ शिमला.हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन में रिटन के टॉपरों को इंटरव्यू में कम अंक देने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। मुख्य परीक्षा के रिटन में पांचवें नंबर पर आए मयंक राणा ने हाईकोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई है। पब्लिक सर्विस कमीशन की इंटरव्यू लेने वाली कमेटी ने मयंक को 150 अंकों में से सिर्फ 30 नंबर दिए थे।
क्या है मामला
इंटरव्यू में बेहद कम मार्क्स मिलने से उनका न एचएएस, न एचपीएस और न ही बीडीओ और अन्य सेवाओं में सिलेक्शन हो पाया था। पब्लिक सर्विस आयोग की इस ज्यादती का शिकार एचएएस की रिटन परीक्षा का टॉपर नीरज भी हुआ था। मुख्य परीक्षा में उसने सभी कैंडीडेट से ज्यादा 527 अंक लिए थे, लेकिन इंटरव्यू लेने वाली कमेटी ने 150 में से 27 नंबर ही दिए थे। इंटरव्यू में सबसे अधिक अंक 110 दिए गए थे। यह कैंडीडेट रिटन परीक्षा में तीसरे नंबर पर थी। भास्कर में प्रकाशित यह खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गई थी।
सोशल मीडिया पर HPPSC की आलोचना
इस पर पब्लिक सर्विस कमीशन की सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर खिंचाई की थी। पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने अपने कमेंट में लिखा था कि अगर पब्लिक सर्विस कमीशन होनहारों के साथ ऐसा ही करेगा तो अच्छे अफसर कहां से मिल पाएंगे। कई लोगों ने इस खबर को शेयर किया था। मयंक राणा ने कहा कि आयोग ने यह सिर्फ चहेतों को लाभ देने के लिए किया। विधानसभा में भी यह मामला गया था।
इन दलीलों के आधार पर दायर की याचिका
आईएएस की मुख्य परीक्षा को तीन बार पास करने वाले और आईआईटी के छात्र रहे मयंक राणा का कहना है कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से चयन प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता नहीं बरती गई है। उन्होंने कोर्ट में दायर याचिका में दलील दी है कि इंटरव्यू में उन्हें मार्जनली मार्क्स भी नहीं दिए गए। चयन प्रक्रिया के दौरान उन्हें जानबूझकर 1 अंक से बाहर किया गया है। उन्होंने कहा कि वह हाईकोर्ट में इस मामले को इस लिए ले गए ताकि किसी दूसरे कैंडीडेट के साथ ऐसा न हो। मयंक का कहना है कि इंटरव्यू ले रहे सदस्यों के सभी सवालों का सही जवाब दिया। ऐसे में मुझे 30 नंबर क्यों दिए गए। इंटरव्यू बोर्ड पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आगे इस तरह की गड़बड़ियां न हों। इसके लिए एचएएस परीक्षा का इंटरव्यू सीसीटीवी कैमरे में होना चाहिए, तािक इस तरह की धांधलियां न हो।
आयोग पर उठ चुके हैं कई सवाल
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की यह पहली परीक्षा नहीं है। जिस पर विवाद हुआ हो। इससे पूर्व पिछले साल हुई एचएएस की परीक्षा में भी गलत रोस्टर लगाने से चार कैंडीडेट सिलेक्शन के बावजूद एचएएस अफसर नहीं बन पाए थे। पिछले साल हुई डीएसपी की डीपीसी 45 मिनट में करने पर भी आयोग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आई थी।