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वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 13 सेंटीमीटर ऊपर बह रही, तटवर्ती इलाकों में हाहाकार

वाराणसी: वाराणसी में जीवनदायिनी सदानीरा रौद्र रूप धारण कर खतरे के निशान को पार कर गई है। सोमवार सुबह आठ बजे तक गंगा की लहरे खतरे के निशान से लगभग 13 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार सात बजे तक गंगा का जलस्तर 71.37 मीटर दर्ज किया गया। खतरे का निशान 71.262 मीटर है। गंगा के जलस्तर में लगभग एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही है। गंगा के जलस्तर में लगातार हो रहे बढ़ाव से तटवर्ती क्षेत्र के गांवों और आवासीय इलाकों में हजारो घर पानी में डूब गये है। गंगा किनारे सामने घाट क्षेत्र की कॉलोनियों में रहने वाले लोग घरों से पलायन कर रहे है। सामने घाट, नगवां इलाके में नावें चलने लगी है।

गंगा की लहरे शहरी क्षेत्र के गलियों का रुख कर रही है, जिसकी वजह से राहत और बचाव के लिए गलियों में भी नाव संचालित हो रही हैं। लंका क्षेत्र के ही मारुति नगर, रोहित नगर, सामने घाट समेत कई अन्य कॉलोनियों में पानी प्रवेश कर चुका है। यहां पर ढाई से तीन हजार परिवार बाढ़ से प्रभावित होकर पलायन करने पर मजबूर हैं। कुछ लोग घरों की सुरक्षा के लिए छत पर शरण लिएहुए है। इन इलाकों की बिजली भी काट दी गई है, ताकि कोई खतरा न हो सके। क्षेत्र की निगरानी के लिए पुलिस तैनात की गई है।

दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, मणिकर्णिका घाट की गलियों में नाव चल रही है। अस्सी चौराहे पर ही भेलूपुर पुलिस के तरफ से बैरिकेडिंग कर रास्ता बंद कर दिया गया है। साथ ही नगवां के तरफ से आने वाले रास्ते पर भी पुलिस की तरफ से बैरिकेडिंग कर दी गई है। पानी बढ़ने से गंगा के तट पर स्थित रमना गांव में सैकड़ों बीघा से अधिक सब्जी की सफल डूब गई हैं। चौबेपुर के ढाब क्षेत्र के भी दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आकर टापू बन गये हैं। इन क्षेत्रों में लोगों को खाने पीने के संकट के साथ पशुओं के चारे के लिए भी जूझना पड़ रहा है। बाढ़ के चलते अंबा, जाल्हूपुर, सिंहवार, सरायमोहाना, चांदपुर, सरसौल, जाल्हूपुर, कोइराजपुर, चमाव, गोसाईपुर आदि गांवों की खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं।

उधर, गंगा के पलट प्रवाह से वरूणा नदी भी कहर बरपाने लगी है। तटवर्ती क्षेत्र के आवासीय इलाकों में बाढ़ का पानी घरों को अपने आगोश में ले लिया है। सरैयां ,बड़ी बाजार सहित वरुणा के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले राहत शिविरों में पहुंचने लगे है। तटवर्ती इलाकों में जिनके घरों में पानी प्रवेश कर चुका है। लोग घरों से पलायन करने के साथ छतों पर भी रूके हुए है। वरुणा पार इलाके में अब लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ने लगी है।

बाढ़ पीड़ित इलाकों में एनडीआरएफ की 11वीं वाहिनी का राहत और बचाव दल लगातार चक्रमण कर रहा है। बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने के साथ बाढ़ में फंसे लोगों को भी दल सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रहे है। इन क्षेत्रों के लोग एनडीआरएफ या फिर जिला प्रशासन की ओर से बंटने वाली राहत सामग्री पर ही निर्भर है। प्रशासन के अफसरों के अनुसार जिले की लगभग 10 हजार आबादी इस समय बाढ़ से प्रभावित है। जनपद में कुल 62 बाढ़ चौकियां, शरणालय चिन्हित है, जिनमें बाढ़ को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की तैनाती कर दी गयी है। 09 बाढ़ चौकियों पर बाढ़ से प्रभावित 738 से अधिक व्यक्ति आश्रय ले चुके हैं। वरूणा नदी के समीप रह-रहे परिवारों को राहत सामग्री के पैकेट दिये जा रहे हैं।

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