विकास मंत्री ने संसद में भावुक भाषण में कहा, ‘मेरा नाम स्मृति ईरानी है’
एजेंसी/ नई दिल्ली: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमूला की खुदकुशी के मामले में विपक्ष द्वारा खुद को निशाना बनाए जाने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा कि अपने कर्तव्य का निर्वाह करने के लिए मैं माफी नहीं मांगूंगी। उन्होंने कहा, 20 महीने के अपने कार्यकाल में मैंने बिना किसी भेदभाव के देश की और लोगों की सेवा की है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कहा, मेरा नाम स्मृति ईरानी है, मैं चुनौती देती हूं, मेरी जाति बताकर देखिए।
‘मेरी नीयत में कोई खोट नहीं’
स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्हें हजारों की संख्या में लोगों से अर्जियां मिली हैं और उन्होंने इसका निपटारा किया और किसी से यह नहीं पूछा कि उनकी जाति या धर्म क्या है। कांग्रेस के आरोपों पर स्मृति ने कहा कि मुझे पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि हैदराबाद विश्वविद्यालय को पत्र क्यों लिखा। कांग्रेस सांसद हनुमंथ राव के कई पत्र मुझे मिले और इसमें कहा गया कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में न्याय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी नीयत में कोई खोट नहीं थी और इस कारण पत्र लिखा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बच्चे की मृत्यु पर राजनीति की जा रही है। जिस समिति ने दलित बच्चे को बर्खास्त करने की सिफारिश की, उसका गठन कांग्रेस की सरकार के समय हुआ था। अपनी बात रखते हुए कई बार स्मृति बेहद भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि रोहित के शव का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार की तरह किया गया। उस बच्चे के पास काफी समय तक कोई नहीं गया। उन्होंने सवाल किया कि वहां डॉक्टर नहीं पहुंचने पर कौन चिकित्सकीय रूप से इतना कुशल था, जिसे वेमूला को मृत घोषित किया।
क्या अमेठी से चुनाव लड़ने की मुझे सजा दी जा रही है?
स्मृति ने कहा, किसी घटना स्थल पर राहुल गांधी दोबारा नहीं जाते, लेकिन इस मामले में (हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्र की आत्महत्या) राजनीतिक अवसरवादिता के चलते दो बार गए। कांग्रेस सदस्यों के टोकाटाकी पर स्मृति ने कहा, क्या अमेठी से चुनाव लड़ने की मुझे सजा दी जा रही है? उल्लेखनीय है कि अमेठी से राहुल गांधी सांसद हैं, जिनके खिलाफ पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी बीजेपी की उम्मीदवार थीं।
कांग्रेस विशेष तौर पर राहुल गांधी द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपतियों को बदलने जाने के आरोप पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए के समय नियुक्त किए गए किसी कुलपति को हटाया नहीं गया है। जेएनयू प्रकरण पर विपक्ष खासकर कांग्रेस के आरोपों के जवाब में स्मृति सदन में काफी दस्तावेज और कागजात लेकर आई थीं।
उन्होंने कहा कि इनमें ऐसे कागजात है जो गृह मंत्रालय के नहीं बल्कि जेएनयू के सुरक्षा विभाग एवं उस संस्थान के हैं। और इनसे यह बात साबित होती है कि वहां भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाये गए।