शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति ने चिन्मयानंद केस से खुद को किया अलग, अब नई पीठ करेगी सुनवाई
नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म केस में सोनवार को नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस आर. भानुमति ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। हालांकि अभी इसके पीछे कारणों को नहीं बताया गया है। अब इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ करेगी। शाहजहांपुर में लॉ की छात्रा से दुष्कर्म व यौन शोषण के आरोपित पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उत्तर प्रदेश की अदालत में चल रहे मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी थी। पीड़ित छात्रा ने जान को खतरा बताते हुए मुकदमा उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में की है। शुक्रवार को छात्रा के वकील कोलिन गोन्जाल्विस ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए कहा था कि मुकदमा उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि पीड़िता को उत्तर प्रदेश में जान का खतरा है। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह सुरक्षा के लिए संबंधित अथारिटीज से संपर्क करें। इस पर गोंजाल्विस ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीड़िता को सुरक्षा के लिए एक सुरक्षाकर्मी दे रखा है। इस याचिका के अलावा पीड़ित छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट मे एक और याचिका दाखिल कर रखी है, जिसमें चिन्मयानंद को जमानत दिये जाने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत तीन फरवरी को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी।
चिन्मयानंद पर उनके ट्रस्ट के कालेज में पढ़ने वाली कानून की छात्रा के यौन शोषण का आरोप लगाया है। चिन्मयानंद को इस आरोप में 20 सितम्बर, 2019 को गिरफ्तार किया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन फरवरी, 2020 को चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए टिप्पणी की थी कि दोनों पक्षों ने अपनी सीमाएं लांघी। इस समय यह कह पाना मुश्किल है कि किसने किसका शोषण किया। दोनों ने एक दूसरे का इस्तेमाल किया। शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा 23 अगस्त, 2019 को अचानक अपने हॉस्टल से लापता हो गई थी। इसके दूसरे दिन पीड़ित लड़की ने वीडियो क्लिप जारी कर चिन्मयानंद पर दुष्कर्म और यौन शोषण का आरोप लगाया था। तभी कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर छात्रा को ढूंढकर पेश करने की मांग की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया था।