श्रमिक हड़ताल का व्यापक असर, 25000 करोड़ का नुकसान
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के श्रमिक सगठनों द्वारा केंद्र सरकार की आर्थिक और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ आहूत देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर रहा और इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। उद्योग जगत की एक संस्था ने दिन भर की हड़ताल के कारण देश को 25,००० करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है। क्योंकि रक्षा उत्पादन, बैंक, बीमा कंपनियां और डाक घर, खदानों, इस्पात उद्योग और बिजली क्षेत्र लगभग ठप-से हो गए थे। सरकार ने जहां इस हड़ताल को कमतर बताने की कोशिश की है, वहीं श्रमिक संगठनों ने इसे अभूतपूर्व रूप से सफल करार दिया है। वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता गुरुदाद दासगुप्ता ने कहा, ‘‘हड़ताल अभूतपूर्व रही। दिल्ली में हम पहली बार इस तरह का असर देख रहे हैं।’’ इसके पहले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि श्रमिकों संघों द्वारा आहूत हड़ताल का कोई खास असर नहीं रहा।
शाम को 1० श्रमिक संघों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘लाखों श्रमिकों द्वारा की गई यह एक अभूतपूर्व हड़ताल थी। अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर असर पड़ा।’’एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया ने हड़ताल के कारण अर्थव्यवस्था को 25,००० करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान लगाया।
सरकार द्वारा संचालित कोल इंडिया में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित रहा। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हड़ताल कुल मिलाकर 8० प्रतिशत सफल रही।’’ पश्चिम बंगाल को छोड़कर बाकी देश भर में हड़ताल लगभग शांतिपूर्ण रही। प>िम बंगाल में वाम कार्यकर्ताओं ने बंद कराने की कोशिश की, जिसके कारण उनका सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों के साथ संघर्ष हुआ, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
यह हड़ताल 12 मांगों के पक्ष में थी, जिसमें श्रम कानून संशोंधनों को वापस लेने, न्यूनतम वेतन 15,००० रुपये तय करने और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण न करने जैसी मांगे शामिल थीं। श्रमिक नेताओं ने कहा कि हड़ताल में लगभग 3० करोड़ श्रमिकों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मई 2०14 में सत्ता संभालने के बाद देश में श्रमिकों की इस दर्जे की पहली हड़ताल रही है। वित्तीय क्षेत्र में बैंक और बीमा उद्योग के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर रहे।