संथारा को गैरकानूनी बताने के उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें जैन समुदाय की संथारा प्रथा को आत्महत्या करार देते हुए इसे गैरकानूनी करार दिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू और न्यायाधीश अमिताव राय की पीठ ने इस मामले में केंद्र और राजस्थान सरकारों को नोटिस जारी किया है। राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय की कई संस्थाओं की तरफ से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील हरीश साल्वे जैसे ही कुछ कहने के लिए उठे, अदालत ने कहा, ‘‘नोटिस जारी, याचिका मंजूर।’’राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा था कि जैन समुदाय के सदस्य यदि संथारा को बढ़ावा या प्रोत्साहन देते हैं, तो इसे आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। अदालत ने संथारा को धारा 3०6 और 3०9 के तहत दंडनीय बना दिया था।
इस सिलसिले में निखिल सोनी नाम के एक व्यक्ति ने जनहित याचिका दायर की थी। राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई के दौरान कहा था कि संथारा की प्रथा संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के संरक्षण और व्यक्तिगत आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर जैन समाज की याचिकाओं में कहा गया है कि अदालत ने जैन धर्म के दर्शन को ठीक से नहीं समझा और इसीलिए गलत तरीके से संथारा को गैरकानूनी घोषित कर दिया।