सच्ची कहानियों पर मैं बेहतर काम कर पाती हूं : मेघना गुलजार
नई दिल्ली : फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक पर काम कर रहीं मेघना का कहना है कि एक सच्ची कहानी बताना चुनौतीपूर्ण है और उन्हें लगता है कि वह ये काम बेहतर तरीके से करती हैं। मेघना ने कहा, मेरी कहानियां कंटेंट को देखते हुए बेहतर बनती हैं, और मुझे लगता है कि मैंने मजबूत, साहसिक और कमजोर न मानी जाने वाली फिल्म ‘तलवार’ के बाद सच्ची कहानी बताने में डर का अहसास या आत्मविश्वास की कमी के साथ काम किया है। उन्होंने कहा, ‘तलवार’ के साथ मैं सशक्त कहानियां बताने में सहज हुई हूं। इसके साथ ही मेरे अंदर मजबूत कहानियों को चुनने का आत्मविश्वास बढ़ा है। मुझे लगता है कि मैं सच्ची कहानियों के साथ बेहतर कर पाती हूं। प्रसिद्ध कवि, कहानीकार, पटकथा लेखक व फिल्मकार गुलजार की बेटी ने इसका कारण पूछने पर कहा, क्योंकि यह बहुत चुनौतीपूर्ण होता है और वही चुनौती मुझे मुश्किल काम करने देता है, जिससे फिल्म को फायदा होता है।
अभिनेत्री राखी की बेटी मेघना ने वर्ष 2002 में अपनी पहली फिल्म ‘फिलहाल’ में सरोगेसी के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने ‘जस्ट मैरीड : मैरिज वाज ऑनली द बिगिनिंग’ में नवदंपति को उनके बीच की असंगति से आजमाइश करते हुए दिखाया था। ‘तलवार’ में उन्होंने चर्चित आरुषि तलवार हत्याकांड को पर्दे पर उतारा था। हालिया समय में उन्होंने आलिया भट्ट के साथ ‘राजी’ बनाई। हरिंदर सिक्का की किताब ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित फिल्म ‘राजी’ एक कश्मीरी युवती पर आधारित है, जिसकी शादी पाकिस्तान के एक सैन्य अधिकारी से हो जाती है। इसके बाद वह जासूस बन पाकिस्तान की खुफिया जानकारी अपने देश भारत को भेजने लगती है। फिल्म को दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और अब मेघना सेना के जांबाज अधिकारी फील्ड मार्शल मानेकशॉ की बायोपिक पर काम कर रही हैं। मानेकशा 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय सेना प्रमुख थे। मेघना के अनुसार, मानेकशॉ लोगों के लिए रोल मॉडल हैं और लोगों को उनके बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कहा, मानेकशॉ ने महान जीवन जिया है और इसके साथ ही वह बहादुर और सुंदर भी थे। भारतीय सेना पर उनकी यह दूसरी फिल्म है और वे इसे मात्र एक संयोग मानती हैं।