सरकारी नौकरी देने में रोड़े अटका रहा है खेल विभाग: सुधा सिंह
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के खेल विभाग पर जकार्ता एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली एथलीट सुधा सिंह ने नौकरी की राह में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है। वे खेल विभाग के रवैये से इतना क्षुब्ध थीं, कि एक समय तो उन्होंने राज्य सरकार की ओर घोषित 30 लाख रुपए के नकद पुरस्कार को लेने से इनकार कर दिया था।
अर्जुन पुरस्कार विजेता एथलीट ने कहा था कि उन्हें रुपए नहीं, उत्तरप्रदेश खेल विभाग में उपनिदेशक का पद चाहिए। हालांकि, राज्यपाल राम नाईक के आग्रह के बाद उन्होंने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों नकद पुरस्कार का चेक ले लिया था। सुधा ने अब अपने मामले को मुख्यमंत्री के ऊपर छोड़ दिया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने पहले भी मुझसे वादा किया था। मुझे अब भी विश्वास है कि वे जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे। मैं एक अच्छी एथलीट हूं। वे भी सोचेंगे कि इतनी बड़ी एथलीट हमारे उत्तरप्रदेश में अपना योगदान दे। मैं अब यह उनके ऊपर छोड़ती हूं कि वे मुझे किस विभाग में नौकरी देते हैं। वे जिस विभाग में कहेंगे मैं उस विभाग में नौकरी करूंगी। सुधा को अब अपनी इस गलती का अहसास तो है कि उन्हें उप निदेशक के पद पर नियुक्ति देने की मांग नहीं करनी चाहिए, लेकिन उनकी यह भी दलील है कि उन्हें क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी (आरएसओ) तो बनाया ही जा सकता है। सुधा ने कहा, मुझे आरएसओ ही बनाया जाए, लेकिन खेल विभाग के कुछ लोग ही नहीं चाहते कि मैं उनके महकमे में आ सकूं। साथ ही कहा कि पहले ऐसे एथलीट्स को सीधे खेल उपनिदेशक बनाया गया है। उन्होंने कहा, यदि मैं सिर्फ अपने बारे में सोचती तो मेरे लिए मुंबई में रेलवे विभाग से बढ़िया कहीं नौकरी नहीं है। लेकिन मैं खेल में अपना योगदान देना चाहती हूं और इसीलिए मैं उत्तर प्रदेश के खेल विभाग में काम करना चाहती हूं। यदि एक प्रमाण पत्र कम हो तो मैं इस नौकरी के लिए क्षमा मांग लूंगी। उन्होंने कहा, मैं उनके (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) पास नौकरी मांगने नहीं गई थी। उन्होंने खुद पुलिस उपाधीक्षक की नौकरी की पेशकश की थी। तब मैंने उनसे कहा था कि मेरे पदकों के हिसाब से, मैं खेल विभाग में उप निदेशक के तौर पर नौकरी करना चाहती हूं। वे तैयार थे। मुझे उन पर विश्वास है। मैं मुंबई में रेलवे विभाग में राजपत्रित अधिकारी के पद पर हूं। सुधा ने कहा, खेल विभाग ने कसम खा रखी है कि वह मुझे अपने यहां नहीं आने देगा। मैंने लगातार तीन पदक जीते हैं। इसके बावजूद मेरे साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है। नियमों का हवाला देकर मुझे उप निदेशक का पद नहीं दिया जा रहा। मैं अब पूरी तरह निराश हो चुकी हूं।
राज्य सरकार को सीधे उप निदेशक बनाने का अधिकार नहीं : खेल मंत्री
इस बीच, उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि सुधा को खेल विभाग में नौकरी देने में कोई अड़चन नहीं है, मगर वे खेल उपनिदेशक का पद चाहती हैं। इस पर सरकार सीधे नियुक्ति नहीं कर सकती। चौहान ने कहा, उपनिदेशक की नियुक्ति चयन आयोग से होती है। सरकार के पास सीधे नियुक्ति का अधिकार नहीं है। उनको पहले क्रीड़ाधिकारी की ही नौकरी मिलेगी। वे प्रोन्नत होकर उपनिदेशक भी बन सकती हैं।