सुई धागा को मिले बस ‘इतने’ ही स्टार्स!
नई दिल्ली : मौजी की दुनिया की दुनिया रचने वाले शरत कटारिया जिन्होंने ‘दम लगा के हईशा’ जैसी खूबसूरत फिल्म बनाई थी,उन्हें लगा कि मौजी की दुनिया में सब बढ़िया है। लेकिन, जब इसे उन्होंने बड़े पर्दे पर फिल्माया तो दर्शकों को अईसा लगा कुछ तो बढ़िया नहीं है। यह कहानी है, मौजी (वरुण धवन) की, कढ़ाई में माहिर और उसकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की। मौजी जहां काम करता है, वहां पर हर रोज उसका मजाक उड़ाया जाता है।एक दिन जब हद पार हो जाता है तो ममता को गुस्सा आ जाता है, और वह मौजी को कहती है, कि उसे अपने पांव पर खड़ा होना चाहिए और इसके बाद शुरू होता है, उनकी ज़िंदगी में संघर्ष। पूरी फिल्म में मौजी और ममता के साथ खराब ही होता रहता है। कहीं जाकर आखिरी के 15 मिनट में दर्शकों को थोड़ी राहत मिलती है, और लगता है कि हमारे हीरो-हीरोइन की ज़िंदगी में कुछ अच्छा हुआ|कमजोर स्क्रीनप्ले, कहानी का रुक-रुक कर आगे बढ़ना, बत्ती गुल मीटर चालु वाली गलती का दोहराव संवाद में क्षेत्रीय भाषा का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल फिल्म को बोझिल बनाता है| हालांकि फिल्म को रियलिस्टिक बनाने की भरपूर कोशिश की गई है। मगर उसमें सिनेमैटिक लिबर्टी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल फिल्म के रियलिज्म को समय-समय पर तोड़ता रहता है|