इन्दौर। लोकसभा में किसी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं देने के अपने निर्णय को नियमों और परंपराओं के आधार पर सही बताते हुये स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आज कहा कि सु्प्रीम कोर्ट की विपक्ष के नेता के बिना लोकपाल की नियुक्ति के संबंध में की गई हालिया टिप्पणी का जवाब केन्द्र सरकार को देना है। सुमित्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘सु्प्रीम कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के बिना लोकपाल की नियुक्ति के संबंध में प्रश्न केन्द्र सरकार से किया है तथा न्यायालय में इसका उत्तर भी सरकार या उसके अटॉर्नी जनरल को देना है।’’ उन्होंने कहा कि जहां तक उनका किसी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिए जाने के निर्णय का सवाल है तो ‘‘मैंने नियमों और परंपराओं का अध्ययन और विशेषज्ञों से सलाह करने के बाद यह फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा कि इसके आधार पर यह दर्जा पाने के लिए 543 सदस्यीय लोकसभा में किसी दल के पास इस संख्या का कम से कम 10 प्रतिशत यानी 55 सीट होना आवश्यक है और आज तक इस नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष तो है ही और वह अपना काम करेगा लेकिन लोकसभा में विपक्ष का नेता कोई नहीं है। सुमित्रा ने 1980 और 1984 के उदाहरणों का भी हवाला दिया जब लोकसभा में किसी विपक्षी दल के पास यह संख्या नहीं होने के कारण किसी भी दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया था।