सूर्य सम्पूर्ण जगत का जीवनदायनीय गृह है वह सम्पूर्ण जगत को ऊर्जा प्रदान करता है सूर्य के बिना जीवन नहीं जिया जा सकता ऐसी कल्पना भी करना असंभव है. इस माहिने की 21 अगस्त को आखिरी सूर्य ग्रहण होगा जो भारत में, एशिया और आफ्रिका के कुछ भागो में नहीं दिखेगा. सूर्य ग्रहण. जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य कुछ समय के लिए चंद्रमा के पीछे चुप जाता है. ऐसी स्थिति को हम सूर्य ग्रहण कहते है. हिन्दू धर्म के हिसाब से सूर्य ग्रहण शुभ नहीं माना जाता है.दिल्ली के नेहरू तारामंडल में निर्देशक एन रत्नाश्री ने बताया कि अमेरिका और कनाडा में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिख सकेगा। धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण का सम्बन्ध राहू-केतु से है. समुद्र मंथन के समय जब विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृत और असुर को वारुनी बाँट रहे थे तब एक दैत्य ने स्वरभानु रूप बदलकर सूर्य और चंद्रमा के बीच जाकर बैठ गया और जैसे ही वो अमृत पीने लगा सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और विष्णु जी को बता दिया, तब विष्णु जी ने उस राक्षस का सिर काट दिया. उस दिन से ही उस राक्षस का सिर राहू और उसका धड केतु कहलाया.
ऐसा कहा जाता है की जब उस राक्षस का सर धड से अलग हुआ तब वः सूर्य और चंद्रमा को निगलने के लिए दौड़ा था लेकिन विष्णु जी ने उसे निगलने नहीं दिया. तभी से सूर्य और चंद्रमा जब एक साथ होते है तो ग्रहण लग जाता है.
सूर्य ग्रहण के दिन रखे सावधानियाँ :-
जो महिलाए गर्भवती है उनकी गर्भस्थ संतान पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ सकता है इसीलिए वे महिलाए सूर्य ग्रहण के दिन घर से बाहर ना निकले.
घर में रखे अनाज, पानी, दूध, व खाने पीने की वस्तु में दूर्वा या फिर तुलसी की पत्ती डाल दे.
ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए.
ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए और स्नान करने के बाद पंडित या ब्राह्मण को रुपया या अनाज दान देना चाहिए.