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स्टेप बाई स्टेप स्कूल के 34 बच्चों को जहरीला पदार्थ देने के मामले में अपराधियों को हो सकती है 10 साल की सजा

एक्सप्रेसवे पर सेक्टर-132 स्थित स्टेप बाई स्टेप स्कूल में बृहस्पतिवार दोपहर विषाक्त भोजन करने वाले 34 से ज्यादा बच्चे शुक्रवार को भी नोएडा व दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती रहे।स्टेप बाई स्टेप स्कूल के 34 बच्चों को जहरीला पदार्थ देने के मामले में अपराधियों को हो सकती है 10 साल की सजा

थाना एक्सप्रेसवे के जांच अधिकारी उपनिरीक्षक जय किशोर समेत चार पुलिसकर्मी अस्पतालों के चक्कर लगाकर बीमार बच्चों की जानकारी जुटा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि देर तक सही इलाज मिलने और अस्पताल लाने में देरी की वजह से कुछ बच्चों की हालत ज्यादा खराब हो गई।

क्षेत्राधिकारी प्रथम पीयूष कुमार सिंह ने बताया कि अपोलो अस्पताल में 14, मैक्स अस्पताल में 11 और जेपी अस्पताल में 9 बच्चों के भर्ती होने की जानकारी मिली है। इसके अलावा अन्य अस्पतालों से भी संपर्क कर पूछा जा रहा है कि उनके यहां स्टेप बाई स्टेप स्कूल के किसी बीमार बच्चे का इलाज हुआ है या नहीं।

जानकारी मिली है कि कई अभिभावकों ने निजी तौर पर भी अलग-अलग अस्पतालों में बच्चों का इलाज कराया है। कुछ बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने प्राथमिक इलाज के बाद लापरवाही में घर भेज दिया था। बाद में उनकी हालत बिगड़ने पर अभिभावकों को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। पुलिस टीम अस्पतालों से सभी बच्चों की मेडिको लीगल रिपोर्ट ले रही है। 

मांगी जा रही है लिखित शिकायत

पुलिस बच्चों के अभिभावकों से भी संपर्क कर लिखित शिकायत मांग रही है। अगर कोई अभिभावक शिकायत देता है तो उसे सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। पूरी जानकारी एकत्र करने के बाद जांच अधिकारी संबंधित लोगों के बयान दर्ज कर जांच आगे बढ़ाएंगे। मामले में स्कूल की कैंटीन चलाने वाली सोडेक्सो कंपनी से भी संपर्क किया जाएगा। थाना एक्सप्रेसवे पुलिस ने सिटी मजिस्ट्रेट महेंन्द्र सिंह की शिकायत पर आईपीसी की धारा 328, 332 व 341 के तहत रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस के अनुसार मामले में जितने ज्यादा अभिभावक शिकायत और बयान देंगे, केस उतना मजबूत होगा। इससे स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना आसान होगा। 
10 वर्ष तक की हो सकती है सजा
धारा 328 : जहरीला पदार्थ देना। इसमें अधिकतम दस वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
धारा 332 : सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना। इसमें अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
धारा 341 : अधिकृत व्यक्ति या अधिकारी को रोकना। इसमें एक माह की सजा का प्रावधान है।
(धारा 328 व 332 गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है।)मालिक से लेकर कर्मचारी को बनाए जा सकते हैं आरोपी
थाना एक्सप्रेसवे में दर्ज एफआईआर में स्कूल प्रबंधन को आरोपी बनाया गया है। लिहाजा इस केस मेें जांच के आधार पर स्कूल मालिक से लेकर कर्मचारी तक आरोपी बन सकते हैं।

पुलिस के अनुसार स्कूल निदेशक, प्रिंसिपल, प्रशासनिक अधिकारी, कैंटीन/मेस प्रभारी इस घटना के लिए सीधे तौर पर आरोपी हैं। जांच के आधार पर स्कूल प्रबंधन के अधिकारियों को आरोपी बनाया जाएगा।

अस्पतालों की तरफ से भी पुलिस को नहीं भेजा गया मीमो

पुलिस के अनुसार सभी अस्पतालों की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी पुलिस केस में खुद अपनी तरफ से तत्काल पुलिस को सूचित करेंगे। इसके लिए अस्पताल की तरफ से संबंधित थाने को एक प्रारूप (मीमो) भरकर जानकारी भेजनी होती है।
स्कूल के प्रभाव में आकर किसी अस्पताल ने शुक्रवार तक पुलिस को मीमो नहीं भेजा। इसलिए पुलिस टीम को अस्पतालों के चक्कर काटकर जानकारी जुटानी पड़ रही, जिसमें काफी वक्त लग रहा है।अपोलो दिल्ली में भर्ती बच्चे
अभिषेक पुत्र राजीव, दीपक कुमार पुत्र माथुर राणा, राहुल पुत्र जगदीश, शिवम वाध्या पुत्र मनोज, प्रिंस निगम पुत्र ऋषिराम, नेहा पुत्री रामकिशन चौधरी, मोनिका पुत्री सरदार गुरबाग सिंह, गजेंद्र पुत्र अतर सिंह, शिव नंदनी पुत्री करण, भव्य कपूर पुत्र कमल कपूर, अनवी जैन पुत्री अमित जैन, बंदित कपूर पुत्र विवेक कपूर, मायरा पुत्री शिवानी और रेहाना पुत्री आशीष।

जेपी अस्पताल में भर्ती बच्चे
माजिया, अंजुई नाथ, बेबी रेहना, वातिका, देव, कायनी, नोएना, अतीक्स मदान और अरलनी।

मैक्स अस्पताल में भर्ती बच्चे
द्विज नागपाल (11), सवीर अरोड़ा (7), प्रावीर अरोड़ा (9), शैराबल (12), विवान अग्रवाल (7), त्वीसा अग्रवाल (11), शौर्यवीर धवन (6), अक्षरा धवन (9), वत्सल सिन्हा (6), आदित्य दत्त (9) और अनन्या बेंजवाल (10)।

 
 

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