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हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे पास हैं सिंधू और सायना जैसी खिलाड़ी

ग्लासगो में आयोजित वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में शानदार प्रदर्शन के बाद पीवी सिंधू स्वदेश लौट आईं। पहली बार विश्वचैंपियनशिप में भारत को दो पदक हासिल हुए हैं सिंधु के सिल्वर के अलावा सायना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता। ऐसे में बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि वो दिन दूर नहीं है जब किदांबी श्रीकांत भी देश के लिए पदक लेकर लौटेंगे। 

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हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे पास हैं सिंधू और सायना जैसी खिलाड़ीपीवी सिंधू के साथ प्रेस को संबोधित करते हुए गोपीचंद ने कहा एक बार में दो पदकों ने बैरियर तोड़ दिया है इसके बाद से स्थितियों में और सुधार होगा। गोपीचंद ने आगे कहा, हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे पास सायना और सिंधू जैसी महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने फिटनेस के पैमाने ऊंचा कर दिया है। ऐसे में पी कश्यप, एचएस प्रणोय, किदांबी श्रीकांत और बी साई प्रणीथ जैसे खिलाड़ियों खिलाड़ियों को भी फिटनेस का महत्व समझ में आया है और अब इन्होंने भी फिटनेस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। 

सिंधू के शानदार प्रदर्शन के पीछे अन्य भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन पीछे रह गया है लेकिन सभी ने अच्छा प्रदर्शन किया। सायना ने कांस्य पदक जीता और श्रीकांत पदक जीतने से चूक गए। ये विश्वचैंपियनशिप में उनका दूसरा क्वार्टर फाइनल था। वो ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में भी पहुंचे थे। वो पदक से ज्यादा दूर नहीं रह गए हैं। 

सिंधू की जमकर तारीफ करते हुए गोपीचंद ने कहा, 22 वर्षीय सिंधू जब खेल से रिटायर होंगी तब उनके पास कई स्वर्ण पदक होंगे। उन्होंने कहा, विश्व चैंपियनशिप का फाइनल शानदार था और सिंधू ने इसमें शानदार खेल दिखाया। महज 22 साल की उम्र में वह कई बड़ी स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं। जिसमें तीन विश्वचैंपियनशिप पदक( दो कांस्य एक रजत) और एक ओलंपिक रजत पदक शामिल है। लगातार चार साल में चार पदक हासिल करना शानदार है। आशा करते हैं वो आने वाले समय में कई स्वर्ण पदक अपनी झोली में डालेंगी। 

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सिंधू और जापान की निजोमी ओकुहारा के बीच खेला गया फाइनल मैच महिला एकल इतिहास का दूसरा सबसे लंबा मैच था। 1 घंटे 50 मिनट तक चले इस मैच में दोनों खिलाड़ियों की फिटनेस की कड़ी परीक्षा हुई इसकी वजह से बैडमिंटन और एक्साइटिंग हो गया। गोपीचंद ने कहा, फिटनेस का जो स्तर हमने विश्वचैंपियनशिप के फाइनल में देखा वो बेहद अलग था। तकरीबन दो घंटे के मैच में किसी भी खिलाड़ी को बढ़त हासिल नहीं हुई। ऐसे में किसी के पास प्रयोग करने की संभावना ही नहीं थी। दोनों खिलाड़ी लगातार दबाव में थे इसने बैडमिंटन को और भी रोचक बना दिया। 

 
 

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