उत्तराखंड में हुए शक्ति परीक्षण में हरीश रावत पास हुए या फेल, इसका ऐलान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा.
हालांकि मंगलवार को हुए फ्लोर टेस्ट में रावत की विजयी मुस्कान और बीजेपी विधायकों की निराशा ने वोटिंग के कुछ मिनटों बाद ही रिजल्ट जाहिर कर दिया था. लेकिन विधिवत ऐलान के लिए सबकी नजरें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को हुए बहुप्रतीक्षित शक्ति परीक्षण के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों पक्षों के विधायकों ने संकेत दिया कि अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विश्वास मत पर संभवत: विपक्ष के 28 के मुकाबले 33 मतों से बाजी मार ली है. शक्ति परीक्षण में कांग्रेस और बीजेपी के एक-एक विधायक ने क्रॉसवोटिंग की.
प्रमुख सचिव (विधायी और संसदीय कार्य) जयदेव सिंह की निगरानी में करीब एक घंटे चली विधायकों के मतदान की प्रक्रिया को एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट भेजा गया.
शक्ति परीक्षण के दौरान अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को छोड़कर सभी 61 विधायकों ने हाथ उठाकर अपने वोट दर्ज कराए. हालांकि, वोट डालकर बाहर निकले कांग्रेस और बीजेपी विधायकों ने स्पष्ट संकेत दिए कि कांग्रेस के पक्ष में 33 और बीजेपी के पक्ष में 28 मत पड़े हैं.
कांग्रेस और बीजेपी दोनों के विधायकों ने कहा कि दोनों दलों के एक-एक विधायक ने क्रॉस वोट किया. जहां घनसाली से बीजेपी विधायक भीम लाल आर्य ने रावत के विश्वास मत के समर्थन में मत दिया, वहीं सोमेश्वर से कांग्रेस विधायक रेखा आर्य ने विश्वास मत के विरोध में वोट दर्ज कराया.
विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद मुस्कराते हुए बाहर निकले पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने हालांकि इस बारे में कुछ भी स्पष्ट करने से इनकार कर दिया और कहा कि शक्ति परीक्षण कराने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट के बहुत आभारी हैं.
संवाददाताओं के पूछने पर रावत ने कहा, विधानसभा में मतदान के दौरान क्या हुआ, मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने हमें विधानसभा में शक्ति परीक्षण का मौका दिया. यह कहे जाने पर कि आपने उंगलियों से ‘वी’ का निशान दिखाकर अपनी जीत का संदेश दिया, उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई चिह्न नहीं दिखाया और इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में ही खुलासा होगा.