लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक पार्टियां जीतने के लिए अपना पूरा दम लगा रही है। बीते कई दिनों से प्रदेश की मौजूदा सरकार सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जा रहीं थीं। जिसके बाद अब काफी हद तक ये साफ हो गया है कि यूपी में 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगें। हालांकि इसकी अभी पार्टी की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। लेकिन खबरों की मानें तो अगले हफ्ते तक ये ऐलान कर दिया जाएगा।
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन से बीजेपी को होगा नुकसान
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन (भाजपा) को सत्ता में आने से रोकने और मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए किया जा रहा है। इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा अगले सप्ताह होने की संभावना है। सपा के एक उच्चपदाधिकारी ने यहां बताया कि खासतौर पर राज्य के पश्चिमी इलाकों में मुसलमानों के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में जाने की अटकलें लगनी शुरु हो गई थीं, लेकिन गठबंधन हो जाने पर यह संभावना क्षीण हो जाएगी क्योंकि संभावित गठबंधन उम्मीदवार ही भाजपा से लड़ाई में रहेगा।
दोनों पार्टियों का संदेह और अविश्वास की घटनाओं का इतिहास रहा है
1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी सपा प्रमुख के साथ गठबंधन की कोशिश में नाकाम साबित हुए थे। एक बार, राजीव गांधी से मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में गठबंधन की घोषणा करने का वादा किया और अगली सुबह दिल्ली से लखनऊ रवाना हो गए। मुलायम ने विधानसभा भंग कर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी जिससे कांग्रेस को काफी निराशा हुई।
सीटों का बंटवारा
उत्तर प्रदेश के सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात कुछ दिनों से सार्वजनिक रुप से कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी के पहली बार चुने गए विधायकों की बैठक बुलाई है। बैठक सुबह भी होने की संभावना है। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि सीटों का बंटवारा भी लगभग तय है। उनके अनुसार विधानसभा की कुल 403 सीटों में 78 पर कांग्रेस और 22 पर रालोद उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे जबकि शेष 303 सीटों पर सपा अपने प्रत्याशियों को उतारेगी। गठबंधन के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही होंगे जबकि उपमुख्यमंत्री का पद कांग्रेस के खाते में आएगा।
2014 में किसने कितनी सीटें जीतीं
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 71 सीटें और 42 फीसदी वोट प्रतिसत के साथ जीत दर्ज की थी। वहीं आम चुनाव में सपा 22.2 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 5 सीट जीत पाई थी और कांग्रेस 7.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 2 ही लोकसभा सीट जीत सकी थी।