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अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ने अंतरिक्ष में मुकाबले को और रोचक बनाया

नई दिल्ली : गगनभेदी आवाज के साथ चंद्रयान-2 को लेकर बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 3 उड़ चला नीले आकाश की ओर। धरती पर मानो सब कुछ थम सा गया। भारतीयों के अरमान सातवें आसमान पर। दुनिया भारत की इस हैरतअंगेज सफलता पर चकित रह गई। 15 तारीख को तय उड़ान से पहले तकनीकी खामी पर अभियान को रोकने के फैसले पर मीन-मेख निकालने वालों को हमारे वैज्ञानिकों ने करारा जवाब दिया। एक हफ्ते के भीतर सकुशल लांचिंग करके भारतीय वैज्ञानिक मेधा का शानदार प्रदर्शन किया। दुनिया चमत्कृत है, हम सब आह्लादित। बस 48 दिन बाद जैसे ही चांद पर लैंडर ने आसन जमाया और रोवर के पैर वहां की जमीन पर थिरके तो हम भी अमेरिका, रूस और चीन के विशिष्ट क्लब में शामिल हो जाएंगे। 21वीं सदी की स्पेस रेस में अमेरिका और रूस जैसे परंपरागत खिलाड़ियों के साथ चीन और भारत जैसे नए खिलाड़ी भी मैदान में हैं, जो मुकाबले को और ज्यादा रोचक बना रहे हैं। जहां भारत ने आज चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लांच करके इस रेस में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। वहीं जनवरी, 2019 को चंद्रमा के सुदूर हिस्से में अंतरिक्ष यान उतारकर चीन दुनिया का पहला देश बन गया है। एशिया की यह दोनों महाशक्तियां अंतरिक्ष पर फतह के लिए और व्यापक योजना बना रही हैं। कभी संपेरों का देश कहकर भारत का उपहास उड़ाने वाले पश्चिमी देश आज भारत को अंतरिक्ष की दुनिया की एक बड़ी ताकत मानने लगे हैं।

अंतरिक्ष की गहराइयों और उसमें छिपे रहस्यों का पता लगाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने भी कमर कस ली है। पानी की खोज की अपने चंद्रयान-1 मिशन के जरिये भारत पहला देश है, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की। 2014 में भारत लाल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन गया। इस अभियान की लागत मात्र 7.4 करोड डॉलर यानी 450 करोड़ रुपये थी। 2017 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपने एक और किफायती मिशन के तहत एक साथ कई देशों के 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर का नया रिकॉर्ड बनाया। चंद्रयान-2 के बाद भारत अपना गगनयान अंतरिक्ष भेजेगा। भारत की धरती से किसी भारतीय नागरिक को अंतरिक्ष में तिरंगा फहराने के लिए ले जाने वाले गगनयान मिशन को साल 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया है। इसरो के अध्यक्ष सिवन ने भी जून में घोषणा की थी कि भारत 2030 तक एक स्वतंत्र अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। शुक्र की परिक्रमा भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 2023 तक शुक्र की परिक्रमा करने के लिए एक अंतरिक्ष यान भेजने की योजना बना रही है। 1964 में मानव रहित मिशनों का उद्देश्य चंद्रमा की सतह की पहली क्लोज-अप तस्वीरों को प्राप्त करना था।

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