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इस फिल्म को देखने के लिए Youtube पर टूट पड़े लोग, दुनिया भर में मच गया था बवाल

आज हम आप सब को बॉलीवुड की उस फिल्म के बारे में बताने जा रहे है, जिसके सिर्फ ट्रेलर ने ही पूरे दुनियाभर में बवाल मचा दिया है. इस फिल्म का नाम “लव सोनिया” है. यह फिल्म चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर आधारित है और इसका ट्रेलर इन्टरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तेज़ी से वायरल हो रहा है. फिल्म जिस टॉपिक पर बनी है और इस फिल्म में किये गए काम को लेकर फिल्म सुर्ख़ियों में बनी हुयी हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस फिल्म को जल्द ही चीन में रिलीज किया जायेगा. लन्दन और मेलबर्न में कई स्टैंडिंग अवार्ड मिलने के बाद इसे चीन में रीलिज किया जा रहा है.

चाइ-ल्ड ट्रैफि-किंग की सच्ची घटनाओ पर आधारित यह फिल्म लोगो के मन को अंदर से झकझोर देती है. बेस्ट फिल्म ,बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर और बहुत सारे अवार्ड अपने नाम करने के बाद यह अपना जलवा भारत और चीन में दिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

अक्सर ऐसा होता है की भारत में फिल्म रीलीज करने के 12 यह इससे जादा दिनों के बाद चीन में रीलीज किया जाता है इसके पीछे बहुत सी प्रक्रियाएं है जिसे फिल्म को गुजरना पड़ता है उसके बाद कही जाकर फिल्म चीन में रीलीज होती हैं.

फिल्म लव सोनिया के मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है फिल्म के ट्रेलर के लांच होने के बाद इसे चीन के डिस्ट्रीब्यूटर ने तुरंत ही खरीद लिया है इस फिल्म से लोगो को बहुत सी उमीदे हैं. अभी यह फिल्म भारत में रीलीज भी नहीं हुई है और इसे चीन के डिस्ट्रीब्यूटर ने पहले से ही खरीद लिए है इसके पीछे ससबसे बड़ा कारण इसकी प्रसिद्धि है.

इस फिल्म की शुरुआत एक ऐसी जगह से होती है, जहां बारिश न होने के कारण किसान बेहाल और कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं. ऐसा ही एक किसान है प्रीती (रिया सिसोदिया) और सोनिया (मृणाल ठाकुर) का पिता शिवा (आदिल हुसैन). जिसमें दादा ठाकुर (अनुपम खेर) से कर्ज़ लिया हुआ है. इसी को चुकाने के लिए वह प्रीती को बेच देता है.

सोनिया अपनी बहन को वापस लाने के लिए घर वालों से छिपकर दादा ठाकुर की मदद से मुंबई चली जाती है. जहां उसे भी देह व्यापार में धकेल दिया जाता है. जिस वैश्यालय में उसे रखा जाता है उसका कर्ता-धर्ता फैज़ल (मनोज वाजपेयी) है. जो लड़कियों को वहां रखने के लिए हर तरह के टॉर्चर का इस्तेमाल करता है. इसी वैश्यालय में वह माधुरी (रिचा चड्ढा), रश्मि (फ्रेडा पिंटो) से मिलती है जो कि परिस्थितियों के चलते कभी इस धंधे में धकेली गई थीं.

राजकुमार राव (मनीष) जो कि एक एनजीओ से जुड़े हुए हैं वैश्यालय से नाबालिग लड़कियों को निकालने का काम करते हैं. ऐसे ही वह सोनिया की मदद करने की कोशिश करते हैं लेकिन सोनिया उनके साथ नहीं जाती. इस घटना के बाद मनोज वाजपेयी उसे प्रीती से मिला देते हैं. लेकिन प्रीती अपनी हालत का ज़िम्मेदार सोनिया को ठहराती है. बाद में सोनिया और माधुरी को अवैध तरीके से पहले हॉन्ग-कॉन्ग बाद में अमेरिका भेज दिया जाता है. जहां रहकर सोनिया अपनी बहन को ढूंढने और खुद वापस आने का संघर्ष करती है.

फिल्म की सबसे खास बात यह है कि मल्टी स्टारर होने के बावजूद भी कोई किरदार एक दूसरे पर हावी नहीं होता. सबके सीमित किरदार है जिसके साथ वह पूरी तरह से न्याय करते हैं. सोनिया के किरदार को मृणाल ठाकुर ने बखूबी निभाया है. एक फ्रस्ट्रेटेड पिता और किसान की भूमिका में आदिल हुसैन अच्छे दिखते हैं.

अपनी हर फिल्म की तरह राजकुमार राव और मनोज वाजपेयी ने बहुत सधा हुआ अभिनय किया है. कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि वह दूसरे किरदार पर भारी पड़ रहे है. रिचा चड्ढा भी अच्छा करती हैं. फ्रेडा पिंटो ने रश्मि के किरदार में गजब जान फूंकी है. अनुपम खेर का फिल्म में बड़ा किरदार नहीं है लेकिन फिर भी वह अपने हिस्से के साथ पूरा न्याय करते हैं.

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