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ऑडिट रिपोर्टः दून विवि में 24 लाख की गड़बड़ी का खुलासा

देहरादून: उच्च शिक्षा के मंदिर विश्वविद्यालय कायदे-कानूनों को ताक पर रखने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। दून विश्वविद्यालय ने प्रोक्योरमेंट नियमावली की अनदेखी कर फर्नीचर, कंप्यूटर की खरीद में 16.87 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता की गई। वहीं तीन शिक्षकों को गलत तरीके से ज्यादा वेतन का भुगतान कर 7.75 लाख का चूना विश्वविद्यालय और सरकार को लगाया गया। इनमें दो शिक्षकों को मनमाने तरीके से प्रोन्नति दी गई। ऑडिट रिपोर्ट में इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। ऑडिट रिपोर्टः दून विवि में 24 लाख की गड़बड़ी का खुलासा

उत्कृष्ट शिक्षा के केंद्र के ख्वाब के साथ खोले गए दून विश्वविद्यालय में वर्ष 2014 से 2016 के बीच हुईं वित्तीय अनियमितताएं विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। सामान की खरीद से लेकर शिक्षकों की पदोन्नति और वेतन भुगतान में नियमों का पालन नहीं किया गया।

अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रणबीर सिंह को भेजी गई ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि विश्वविद्यालय ने बेंच व कुर्सी की आपूर्ति को टू बिड सिस्टम के माध्यम से टेंडर आमंत्रित कर कम दर पर 200 बेंच की आपूर्ति के लिए एक कंपनी को आदेश कर 10,13,328 रुपये का भुगतान कर दिया। इसीप्रकार 600 कुर्सियों के लिए अन्य कंपनी के पक्ष में आपूर्ति आदेश कर 6,73,799 रुपये का भुगतान किया गया। बगैर मांग के क्रय समिति ने कंप्यूटर खरीद की अधिक संख्या में सिफारिश किए जाने से 4,02,036 रुपये का निष्फल व्यय हुआ। 

ऑडिट में यह भी सामने आया कि राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश का उल्लंघन कर शिक्षिका डॉ अर्चना शर्मा के मूल वेतन में पांच वेतन वृद्धि जोड़ी गईं, जबकि शासनादेश के विपरीत जाकर उन्हें 97983 रुपये का अधिक भुगतान किया गया। 

रिपोर्ट में महंगाई भत्ते और अन्य भत्तों की गणना करते हुए वसूली के लिए समुचित कार्यवाही करने की सिफारिश की गई है। डॉ अर्चना शर्मा को 30 अगस्त, 2013 से 30 जून, 2014 के बीच सहायक प्रोफेसर स्टेज-एक से स्टेज-दो पर अनियमित प्रोन्नति कर 18,258 रुपये अधिक भुगतान किया गया। 

डॉ विजय श्रीधर को नौ जुलाई, 2009 से 30 जून, 2016 के बीच सहायक प्रोफेसर स्टेज-एक से स्टेज-दो पर अनियमित पदोन्नति देकर 2,05,800 रुपये का अधिक भुगतान हुआ। इसीतरह डॉ कुसुम अरुणाचलम को भी मूल वेतन से ज्यादा 4,53,084 रुपये का त्रुटिपूर्ण भुगतान हुआ है। जांच में पाया गया कि न्यूनतम शैक्षिक परफॉरमेंस और चयन पात्रता को पूरा नहीं किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में वेतन से अधिक भुगतान की वसूली की सिफारिश की गई है। 

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