दस्तक-विशेषराज्य

ओडिसा में लहराया भगवा

मन्नमथ मल्लिक

भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गयी सर्जिकल स्ट्राइक से बने माहौल और फिर उसके नोटबंदी के निर्णय से कथित रूप से बिगड़े माहौल के बीच एक ऐसे राज्य में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है, जहां फिलहाल उसे राजनीतिक शैषव अवस्था प्राप्त थी। दरअसल ओडिशा प्रांत में पंचायत और जिला परिषद चुनावों में भाजपा ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। भाजपा को मिली यह सफलता मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक के लिए खतरे की घण्टी है। हालांकि बीजद सबसे ज्यादा सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में आज भी स्थातिप है लेकिन भाजपा ने इन स्थानीय चुनावों में जनमत का एक बड़ा हिस्सा बीजद से जरूर छीनकर अपने पाले में कर लिया है।
इसका मुख्य श्रेय भाजपा के संगठन और उसके तेजतर्रार सेनापति युवा केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि इस जनमत को भाजपा के पक्ष में लाने का रणनीतिक कौशलधर्मेन्द्र प्रधान में ही है। अब तक दूसरे पायदान पर खड़ी कांग्रेस की तो हालत और भी खस्ता हो गयी। साफ है कि भाजपा की यह उड़ान 2019 में होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में भाजपा के पक्ष में कोई नया समीकरण स्थापित करेगी।
ओडिशा राज्य जिला परिषद में 846 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। इनमें बीजद ने 473, भाजपा ने 297 और कांग्रेस ने 60 सीटें जीती हैं। निर्दलीय और अन्यों को 16 सीटें मिली हैं। भाजपा के लिए यह चुनाव फायदे का सौदा साबित हुए हैं। इस दौरान करीब-करीब तीन करोड़ ग्रामीण मतदाताओं ने जिला परिषद, ब्लाक समिति वार्ड मेंबर और सरपंचों के लिए वोट डाले। भाजपा ने लगभग 297 सीटें जीती हैं जो कि पांच साल पहले 2012 में हुए चुनावों से लगभग 10 गुना ज्यादा है। 2012 के पंचायत चुनावों में भाजपा को मात्र 36 सीटें ही मिली थीं। वहीं राज्य की सत्ता में आसीन बीजू जनता दल (बीजद) के वोट बैंक में भाजपा ने मजबूत सेंधमारी की है। वहीं कांग्रेस तो मुकाबले में ही टिक ही नहीं सकी। ओडिशा में 17 साल से नवीन पटनायक के नेतृत्व में बीजद की सरकार है। भाजपा नेताओं में इन नतीजों से काफी उत्साह है। 2014 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा की हालत खराब रही थी। 21 लोकसभा सीटों में से उसे केवल एक पर जीत मिली थी। वहीं विधानसभा में भी वह तीसरे नंबर पर रही थी। इन्हीं परिस्थितियों को भांपते हुए मोदी टीम के तेजतर्रार और युवा उड़िया नेता धर्मेन्द्र प्रधान को केन्द्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार देकर उड़ीसा में भाजपा को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा और उन्हें उड़ीसा का प्रभारी बनाया गया। ये चुनाव परिणाम धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा जमीनी स्तर पर किये गये राजनीतिक कौशल का ही नतीजा माने जा रहे हैं और इससे यह संभावना प्रबल हुई है कि उड़ीसा प्रदेश में बीजू जनता दल के मुखिया नवीन पटनायक को पटखनी देने की क्षमता धर्मेन्द्र प्रधान में ही है।
2012 के चुनावों में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद ने पंचायत चुनावों में एकतरफा जीत दर्ज की थी। उसने 854 सीटों में से 77 प्रतिशत पर कब्जा किया था। कांग्रेस 13 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर थी। 2014 के विधानसभा चुनावों में भी यही सिलसिला जारी रहा और बीजद को 147 में से 117 पर विजय मिली। वहीं लोकसभा में चुनावों में 21 में से 20 सीटें उसके पाले में गई थी। इस बार भाजपा ने आठ जिला परिषदों में शून्य से शुरुआत की और अब उसे यहां पूर्ण बहुमत मिल गया है। केंद्रीय मंत्री और ओडिशा भाजपा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने नतीजों को लेकर कहा कि ओडिशा की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम में विश्वास जताया है। बीजद अब विश्वास खो रही है। जनता ने बीजद को आईना दिखा दिया है। यह ओडिशा में बीजद के शासन के अंत की शुरुआत है।
भाजपा नेताओं का मानना है कि इन नतीजों से बीजद में खलबली है और संभव है कि आने वाले समय में उसके कई नेता भगवा पार्टी का दामन थाम लें। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में 2016 की तुलना में कम सीटें मिलती हैं तो वह ओडिशा जैसे राज्यों में अच्छा प्रदर्शन कर इसकी पूर्ति कर सकती है। मयूरभंज जिले में खेल मंत्री सुदम मरांडी को बड़ा झटका लगा है। भाजपा ने यहां पर बहुमत हासिल किया है। एक समय बीजद के गढ़ रहे केंद्रपाड़ा जिले में भाजपा ने 14 में से आठ सीटें जीती। बोलंगीर जिले में 34 में से 23 जीतकर भाजपा ने बीजद के सांसद पिता-पुत्र एयू सिंह देव और कलिकेश सिंह देव के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। वहीं कालाहांडी में कुल 36 सीटों में से भाजपा ने 33 सीटें जीतकर भगवा का परचम लहराया है। इन नतीजों ने धर्मेंद्र प्रधान का कद भी बढ़ा दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव में वे यहां पर भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। साथ ही अगले साल होने वाले शहरी निकाय चुनावों के लिए भी भाजपा को बड़ा बूस्ट मिला है। भाजपा प्रवक्ता सज्जन शर्मा का कहना है, “हम आगे बढ़ने को तैयार हैं। पंचायत चुनावों में भाजपा की सफलता से चकित हैं और फिर 2019 के चुनावों में अधिक आश्चर्यों के लिए भी तैयार हैं।” भाजपा को मिली इस जीत को लेकर ओडिसा से लेकर दिल्ली तक राजनैतिक गलियारों में धर्मेन्द्र प्रधान के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री सौदान सिंह की अहम भूमिका मानी जा रही है। प्रधान की ही तरह सौदान सिंह ने भी बीते एक साल से लगातार ओडिसा में जमीनी स्तर पर सांगठनिक क्षमता को बढ़ाने का काम किया। संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले सौदान सिंह इससे पूर्व झारखण्ड में भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
ओडिसा में सौदान सिंह ने बिखरे हुए पार्टी संगठन को एकजुट करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्थिति अब यह हो गयी है कि अब भाजपा की हर पंचायत में पकड़ बन चुकी है और कभी प्रत्याशी तलाशने में पसीने-पसीने हो जाने वाली भाजपा को अब कई दावेदार मिल गए हैं। हालात यह हो गए हैं कि भाजपा जहां बीजद को सीधे चुनौती देने की स्थिति में आ गयी है। माना जा रहा है कि भाजपा अब ओडिसा में केन्द्रीय पेट्रोलियम राज्यमंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को युवा चेहरे के रूप में आगे बढ़ायेगी। केन्द्रीय मंत्री जुएल उरांव, विधायक दल के नेता केवी सिंह देव, राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, राज्य सभापति बसंत पण्डा और सौदान सिंह की टीम विधानसभा चुनाव में पटनायक को चक्रव्यूह में फंसाने में सफल हो सकती है और सूबे में कमल खिल सकता है। 

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