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किसी भी सदन का सदस्य नहीं होते हुए 8वें मुख्यमंत्री बने उद्धव…

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे किसी भी सदन का सदस्य नहीं होते हुए भी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने वाले आठवें व्यक्ति हो गए हैं। उनसे पहले कांग्रेस नेता एआर अंतुले, वसंतदादा पाटिल, शिवाजी राव निलांगेकर पाटिल, शंकर राव चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण थे जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। तत्कालीन कांग्रेस नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी नाम इन नेताओं में शामिल हैं।

संविधान के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई नेता विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के अंदर किसी एक सदन का सदस्य बनना होता है। जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य के ऐसे पहले नेता थे। वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे जबकि शंकर राव चव्हाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे, मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे।

नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे, लेकिन मुंबई में दंगों के बाद सुधाकर राव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था। इसी तरह, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में पृथ्वीराज चव्हाण मंत्री थे लेकिन वह भी अशोक चव्हाण की जगह नवंबर 2010 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। अंतुले, निलांगेकर पाटिल और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे। अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद् का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था।

राज ठाकरे की मां से मिलकर भावुक हुए उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे के शपथग्रहण समारोह में पूरा कुटुंब उपस्थित था। उद्धव तब भावुक हो गए जब राज ठाकरे की मां कुंदा ठाकरे मंच पर मिलने पहुंची। रिश्ते में वह उनकी चाची और मौसी, दोनों लगती हैं। उद्धव ने उनके पैर छुए तो कुंदा ठाकरे की आंखों में आंसू आ गए। उद्धव भी उस वक्त भावुक हो गए, मगर उन्होंने खुद को संभाला।

उद्धव और राज के परिवारों में राजनीतिक विरोध की कोई बात नहीं दिखी। उद्धव ने खुद फोन करके राज ठाकरे को आमंत्रित किया था। राज का घर कृष्ण कुंज शिवाजी पार्क परिसर में है, जहां यह कार्यक्रम था। राज समारोह में मां, पत्नी, बेटी, बेटे और बहू के साथ आए थे। उद्धव के शपथग्रहण के बाद जब राज मंच पर पहुंचे तो भाई से मिल नहीं पाए क्योंकि भीड़ जमा हो गई थी परंतु कुछ पल बाद आगे बढ़ कर उन्होंने हाथ मिलाकर उद्धव को शुभकामनाएं दीं। दोनों एक-दूसरे के साथ सहज थे।

उद्धव से बगैर मिले लौट गए फडणवीस
अपने मुख्यमंत्री काल में उद्धव ठाकरे को साथ लेकर पांच साल सरकार चलाने वाले देवेंद्र फडणवीस के चेहरे पर शपथग्रहण समारोह में फीकी हंसी थी। वह औपचारिकतावश इस समारोह में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ पहुंचे थे। मगर कार्यक्रम खत्म होने के बाद वह उद्धव से मिले बगैर ही लौट गए। उन्होंने बाद में फेसबुक और ट्विटर पर नए मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं दीं।

सुप्रिया सुले को खली बालासाहेब की कमी
उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारियों के बीच एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को याद कर भावनात्मक हो गईं। उन्होंने कहा कि आज शिवसेना प्रमुख के दिवंगत पिता बालासाहेब और उनकी मां मीनाताई को मौजूद रहना चाहिए था।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया ने कहा कि बाल ठाकरे और उनकी पत्नी ने उन्हें बेटी से बढ़कर प्यार और स्नेह दिया। मेरी जिंदगी में उनकी भूमिका हमेशा से खास और यादगार रहेगी। आज उनकी कमी बहुत खल रही है। सियासत में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे पवार और बाल ठाकरे के बीच आपसी संबंध बहुत मधुर थे। मीनाताई ठाकरे को मां साहेब के तौर पर जाना जाता था। वर्ष 2006 में तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाई गई सुप्रिया सुले के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था।

भाजपा का साथ देना बगावत नहीं, हमेशा एनसीपी में ही रहूंगा- अजीत
महाराष्ट्र की सियासत में अहम किरदार बनकर उभरे अजित पवार ने ‘बगावत’ खबरों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा का साथ देना बगावत नहीं था। वह एनसीपी में थे, वह एनसीपी में हैं और हमेशा एनसीपी में रहेंगे।

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