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गांव की युवती के लिए विशेष दिन हो सकता है 24 फरवरी

हापुड़ : जिले के गांव काठीखेड़ा निवासी स्नेह को लेकर बनाई गई ‘पीरियडः एंड ऑफ सेंटेंस’ फिल्म पिछले दिनों ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेटेड हुई थी। यह फिल्म नारी स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर बनी थी। सहेलियों संग मिलकर स्नेह ने गांव में ही सेनेटरी पैड बनाने का उद्योग लगाया था। बृहस्पतिवार को ऑस्कर अवार्ड को पाने के लिए पूरी टीम खुशी के आंसूओं संग दिल्ली एयरपोर्ट से अमेरिका के लिए रवाना हुई। अवार्ड के लिए पांच फिल्में चुनी गई हैं। जिसमें पूरे भारत से यह एक मात्र फिल्म है। 24 फरवरी को अमेरिका में अॅवार्ड को लेकर घोषणा की जाएगी। गांव काठीखेड़ा निवासी स्नेह सहेलियों संग मिलकर अपने ही गांव में सबला महिला उद्योग समिति के माध्यम से सेनेटरी पैड बनाती हैं। यह पैड गांव की महिलाओं के साथ नारी सशक्तिकरण के लिए काम कर रही संस्था एक्शन इंडिया को भी सप्लाई किए जाते हैं। अपनी उपलब्धि से सभी महिलाएं बहुत खुश हैं। ग्रेटर नोएडा निवासी और टीम की सदस्य सुलेखा ने बताया कि छह महिलाएं अमेरिका जा रही हैं। जिसमें दिल्ली की डिफेंस कालोनी निवासी संस्था की डायरेक्टर गौरी चौधरी 17 फरवरी को ही अमेरिका जा चुकी हैं, जबकि काठीखेड़ा निवासी स्नेह व सुमन, दिल्ली निवासी अजिया, गुरुग्राम निवासी मंदाकिनी बृहस्पतिवार की रात को रवाना हुई हैं। यहां से हांगकांग और फिर शुक्रवार की सुबह अमेरिका के लॉस एंजिल्स के लिए वह जाएंगी। गौरतलब है कि नारी स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर बनी फिल्म ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस’ ऑस्कर के लिए नामांकित हुई है। यह फिल्म हापुड़ जिले के गांव काठी खेड़ा की एक लड़की पर फिल्माई गई है। यह लड़की सहेलियों संग मिलकर अपने ही गांव में सबला महिला उद्योग समिति में सेनेटरी पैड बनाती है। यह पैड गांव की महिलाओं के साथ नारी सशक्तीकरण के लिए काम कर रही संस्था एक्शन इंडिया को भी सप्लाई किया जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि जब एक महिला से पीरियड के बारे में पूछा गया तो वह कहती है मैं जानती हूं पर बताने में मुझे शर्म आती है। जब यही बात स्कूल के लड़कों से पूछी गई तो उसने कहा कि यह पीरियड क्या है? यह तो स्कूली की घंटी बजती है, उसे पीरियड कहते हैं। साधारण छोटे किसान राजेंद्र की 22 साल की बेटी स्नेह ने बचपन से ही पुलिस में भर्ती होने का ख्याब संजोया था। आज तक वह हापुड़ से आगे दूसरे शहर भी नहीं गई। उसके लिए तो पिता और परिवार ही सब कुछ हैं।

स्नेह कहती हैं कि उसने बीए तक पढ़ाई हापुड़ के एकेपी कॉलेज से की। मैं तो पुलिस में भर्ती होने की तैयारी में लगी थी। इसी बीच मेरी रिश्ते की भाभी सुमन जो ‘एक्शन इंडिया’ संस्था के लिए काम करती थीं, बताया कि संस्था गांव में सेनेटरी पैड बनाने की मशीन लगाने वाली है। क्या तुम इसमें काम कर पाओगी, तो मैंने सोचा कि पैसे कमाकर अपनी कोचिंग की फीस इकट्ठा कर लूंगी। मां उर्मिला से बात की तो उन्होंने हामी भर दी। पिता को बताया गया कि संस्था बच्चों के डायपर बनाने का काम करती है। सेनेटरी पैड बनाने में साथ काम करने वाली स्नेह की सहेली राखी का सपना है कि वह आगे चलकर टीचर बने। उसका कहना है कि कि हम सभी समझ रहे थे कि यह फिल्म महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए बन रही है। अब जब यह फिल्म आॅस्कर के लिए नॉमिनेट हुई है तो इस फिल्म में दिखाई गईं सभी सातों लड़कियां और गांव के सभी लोग खुश हैं। स्नेह ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है इसलिए उसे अमेरिका बुलाया गया है। यह हम सभी के लिए गर्व के बात है कि आज से पहले इस गांव से कोई अमेरिका नहीं गया था। साथ में काम करने वाली अर्शी बताती हैं कि दीदी को आॅस्कर के लिए बुलाया गया है।

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