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चालान से बचने के लिए दिल्ली वालों ने निकाला तोड़, मेट्रो की ओर किया रुख

संशोधित मोटर वाहन अधिनियम के एक सितंबर से प्रभाव में आने के बाद से एक सप्ताह के भीतर वाहनों के बड़े चालान होने से लोगों में यातायात नियमों को लेकर डर की स्थिति पैदा हो गई है। चालान राशि कई गुना बढ़ने के बाद दिल्लीवासी अब अपने निजी वाहनों को सड़कों पर उतारने से भी कतराते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं यातायात नियमों के उल्लंघन से बचने के लिए लोग मेट्रो और डीटीसी बसों का रुख करने लगे हैं। लिहाजा मेट्रो और डीटीसी बसों पर यात्रियों का भार जल्द ही बढ़ सकता है।

छतरपुर निवासी निशा सिंह ने बताया कि उनके पास कार और स्कूटी हैं। वह अब तक अपने निजी वाहन से ही ऑफिस जाती थीं, लेकिन रेड लाइट जंप, जेबरा क्रॉसिंग, ओवर स्पीड, हॉर्न बजाने और वायु प्रदूषण समेत अन्य श्रेणियों में चालान की राशि बेहद ज्यादा बढ़ा दी गई है। उन्होंने बताया कि हालांकि वह यातायात नियमों का हमेशा पालन करती हैं, लेकिन अगर कभी गलती से भी उनसे किसी यातायात नियम का उल्लंघन हो गया तो पांच से 10 हजार रुपये तक का चालान कट सकता है। ऐसे में वह बिना वजह चालान कटने से बचने के लिए कनाट प्लेस स्थित अपने ऑफिस पहुंचने के लिए मेट्रो से सफर करेगी।

दिल्ली के नजफगढ़ निवासी आमिर ने बताया कि उसके पास दोपहिया वाहन है। नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद से वह कई ऐसी घटनाओं के बारे में सुन चुके हैं कि एक ही वाहन के 27 हजार रुपये तक के चालान काटे जा चुके हैं। उनका कहना है कि उनकी बाइक के सभी कागजात पूरे हैं और यातायात नियमों का पालन करते हैं, लेकिन जिस तरह से मामूली यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए चालान की राशि कई गुना बढ़ा दी गई है, उससे उन्हें भी चालान कटने का डर सता रहा है। इसलिए वह अब मेट्रो और डीटीसी बसों में सफर करना ज्यादा बेहतर मान रहे हैं।

कानून एवं न्याय अधिकारिता मंत्रालय में कार्यरत वरुण शर्मा का कहना है कि वह बाइक से दफ्तर जाता हैं, लेकिन सुबह ऑफिस पहुंचने की जल्दी में वह रेड लाइट जंप कर देता है। रेड लाइट जंप पर 10 हजार का चालान हो गया है। इससे बचने के लिए मेट्रो से सफर करने लगे हैं।

इस संबंध में डीएमआरसी का कहना है कि हालांकि यात्रियों की संख्या में एक-दो लाख का उतार चढ़ाव आता रहता है। अगर मेट्रो में यात्रियों की संख्या ज्यादा बढ़ती है तो यात्रियों के लिए डीएमआरसी के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं।

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