उत्तर प्रदेशलखनऊ

मुलायम सिंह यादव के मंच पर पहुंचते ही जोश से भर उठे शिवपाल समर्थक

अपनी सियासी ताकत का एहसास करवाने के लिए लखनऊ के रमाबाई आंबेडकर मैदान में जनाक्रोश रैली कर रहे शिवपाल सिंह यादव के मंच पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व उनके बड़े भाई मुलायम सिंह यादव भी पहुंच गए हैं। मुलायम के मंच पर पहुंचते ही शिवपाल समर्थक जोश से भर गए। इसके साथ ही मुलायम के रैली में जाने को लेकर कयासों पर भी रोक लग गई। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मंच पर मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, अपर्णा यादव, राज्यसभा सांसद सुखराम सिंह यादव, एमएलसी मधुकर जेटली, पूर्व मंत्री शादाब फातिमा, शारदा प्रताप सिंह व पूर्व विधायक राजेंद्र यादव मौजूद हैं।

हजार सवाल-एक जवाब शिवपाल…नारे लिखे होर्डिंग्स से पटी राजधानी
यूपी के जेहन में सवाल हैं और उम्मीद शिवपाल हैं, फिर थाम संघर्ष की मशाल, आपके लिए निकल पड़े शिवपाल, हजार सवाल-एक जवाब शिवपाल। इस तरह के नारे लिखे होर्डिंग्स से राजधानी पट चुकी है। आज समाजवादी सेकुलर मोर्चा के अध्यक्ष व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव की जनाक्रोश रैली जो होनी है। अलग मोर्चा व अलग पार्टी बनाने के बाद राजधानी लखनऊ में शिवपाल के पहले सियासी शो में भारी भीड़ जुटने का अनुमान है। रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान और आसपास का इलाका पार्टी के झंडों, बैनरों, होर्डिंग्स व पोस्टरों से सजाया गया है।

शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी में उपेक्षा से क्षुब्ध होकर पहले समाजवादी सेकुलर मोर्चा और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई। सभी 75 जिलों में संगठनात्मक ढांचा खड़ा किया। फ्रंटल संगठनों को सक्रिय किया। जनाक्रोश रैली के लिए शिवपाल के समर्थक प्रदेश के कोने-कोने से यहां पहुंच रहे हैं। कुछ बड़े नेता रैली स्थल पर ही पार्टी की सदस्यता ले सकते हैं । शिवपाल कहते हैं कि प्रसपा (लोहिया) राजधानी में पहली रैली के जरिये इतिहास रचने जा रही है। महारैली मुद्दों व जन आक्रोश पर केंद्रित होगी। यह किसी व्यक्ति विशेष की रैली नहीं है बल्कि जन साधारण के आक्रोश को स्वर देगी। प्रदेश-देश, किसानों, नौजवानों के सामने तमाम चुनौतियां खड़ी है।

सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्भों में देखना होगा

शिवपाल कहते हैं कि बदलते संदर्भ में गांव, देश व समाज के हालात बदल गए हैं। तीन दशक पहले जो चुनौतियां थी, तब और अब की स्थिति बहुत बदल चुकी है। ऐसे में सामाजिक न्याय की लड़ाई को नए संदर्भ में देखना होगा। हम सामाजिक विकास में पिछड़ गए जातीय समूहों और वर्गो को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं । समाजवाद और सेकुलरिज्म हमारी पार्टी की सोच के अभिन्न हिस्से हैं। हम किसानों, नौजवानों,  महिलाओं व छात्रों को केंद्र में रखकर समाज, राज्य व राष्ट्र के विकास की रणनीति पर काम करेंगे। सतत और रोजगारपरक विकास हमारा मुख्य एजेंडा है।

जनाधार का इम्तिहान, तय होगा कद

जनाक्रोश रैली कई मायनों में शिवपाल के लिए बेहद अहम है। इसमें जुटी भीड़ उनके जनाधार का इम्तिहान होगी। इसी से उनका सियासी कद भी तय होगा। दरअसल, शिवपाल को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। वह लंबे समय तक सपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। मंत्री, नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। दशकों से सहकारिता की राजनीति से जुड़े हैं। प्रदेश भर में उनका नेटवर्क है। वह बड़ी रैलियां कराते रहे हैं। यह पहला मौका है जब वह सपा से अलग होकर रैली कर रहे हैं।

पार्टी की मुख्यधारा से कटने के बाद वह कितने लोगों को रमाबाई अंबेडकर मैदान तक ला पाएंगे, इस पर सभी की नजरें हैं। कहा जाता है कि रमाबाई मैदान को बसपा के अलावा कोई और दल भर नहीं पाता है। रविवार को जुटने वाली भीड़ शिवपाल का राजनीतिक कद तय करेगी। भीड़ जुटी तो उनके समर्थक उत्साहित होकर लौटेंगे। सपा के प्रदेश प्रवक्ता दीपक मिश्रा का कहना है कि रैली ऐतिहासिक होगी। रविवार को यह भ्रम टूट जाएगा कि रमाबाई अंबेडकर मैदान को कोई दल भर नहीं पाता है। रैली में आम लोगों के साथ ही बड़ी तादाद में बुद्धिजीवी व शिक्षाविद् भी शामिल होंगे।

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