अद्धयात्म

जानिए क्यों ? आज की जाती है आंवले की पूजा

आज 17 नवंबर शनिवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.

विधि

आज 17 नवंबर शनिवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.

– ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करता है उस पर हमेशा विष्णु जी और लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है.
– इस दिन आंवले के पेड़ की छाया में बैठकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए जिससे धन और सम्पत्ती में वृद्धि होती है.
– अगर आप सम्पत्ती या धन न होने से परेशान हैं तो इस दिन घर में आवले का पेड़ जरूर लगाएं और इसकी छाया में ब्राह्मणों को खाना बनाकर खिलाएं.
– इस दिन आंवले के पेड़ की जड़ में दूध का अर्घ्य देना चाहिए. इससे अखंड सौभाग्य, आरोग्य व सुख की प्राप्ति होती है.
– आंवला प्राचीनकाल से ही स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी माना गया है. आंवले का सेवन किसी भी रूप में किया जाए लाभदायक ही होता है. च्यवन ऋषि ने आंवले से च्यवनप्राश का निर्माण कर देवताओं को चिर यौवन प्राप्त कराया था.

– इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को आंवले से बनी मिठाई जैसे आंवले का मुरब्बा आदि भोग लगा सकते हैं.

– इसके अलावा आंवला नवमी के दिन श्रद्घालुओं द्वारा विशेष तौर पर ब्राह्मणों को कुम्हड़ा दान किया जाता है. मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को बीज युक्त कुम्हड़ दान करने पर कुम्हड़े की बीज में जितने बीज होते हैं, उतने ही साल तक दानदाता को स्वर्ग में रहने की जगह मिलती है.

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