अद्धयात्म

जानिए शीतला अष्टमी का महत्व, ऐसे करें शीतला माता की पूजा

इस बार शीतला माता की अष्टमी 28 मार्च 2019 गुरुवार को पड़ी है. शीतला माता बच्चों की सेहत की रक्षा करती हैं. साथ ही धन दौलत का अंबार भर देती हैं. होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी की पूजा होती है. वहीं, कुछ लोग होली के बाद आने वाले पहले सोमवार को शीतला माता की पूजा करते हैं. चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला माता की पूजा होती है. शीतला माता को बासी खाने का ही भोग लगता है. इस दिन सभी लोग बासी खाना ही खाते हैं.

शीतला माता देवी की तरह होती हैं, जो गर्दभ यानी गधे पर सवार होती हैं. उनके हाथ में झाड़ू होती है. नीम के पत्तों को जेवर की तरह पहने होती हैं. उनके एक हाथ में शीतल यानी ठंडे जल का कलश भी होता है. माता साफ़ सफाई, स्वस्थ्य जीवन और शीतलता की प्रतीक हैं.

शीतला अष्टमी में शीतला माता की ऐसे पूजा करें-

– इस दिन से ठंडे पानी से स्नान शुरू होता है, क्योंकि सूर्य एक दम सीधे ऊपर आ जाने से गर्मी बढ़ जाती है.

– इस दिन गंगाजल डालकर स्नान करें. नारंगी वस्त्र पहनें.

– दोपहर 12 बजे शीतला मंदिर जाकर माता की पूजा करें.

– माता को सुगंधित फूल, नीम के पत्तों और सुगंधित इत्र डालकर पूजा करें.

– शीतला माता को ठंडे या बासी खाने का भोग लगाएं.

– कपूर जलाकर आरती करें.

– ॐ शीतला मात्रै नमः मंत्र का जाप करें.

बासी खाने का महत्व-

– शीतला अष्टमी के दिन घर में ठंडा और बासी खाना खाया जाता है. इस दिन सुबह के समय घर में चूल्हा नहीं जलाते हैं. इस दिन थोड़ा नीम की पत्तियां भी खानी चाहिए.

– इस दिन ठंडा बासी पुआ, पूरी, दाल भात, मिठाई का माता को भोग लगाकर खाया जाता है.

– खाने से पहले भोजन दान भी करना चाहिए

शीतला माता की कथा-

एक गावं था वहां एक बूढ़ी माता रहती थी. एक बार गांव में आग लग गई थी. पूरा गाव जल गया था. लेकिन बूढ़ी माता का घर बच गया था. सबने बूढ़ी माता को पूछा कि उनकी झोपड़ी कैसे बच गई. बूढ़ी माता ने बताया कि वह चैत्र कृष्ण अष्टमी को व्रत रखती हैं. शीतला माता की पूजा करती हैं. बासी ठंडी रोटी खाती हैं. इस दिन चूल्हे की आग नहीं जलाती हैं. यही वजह है कि शीतला माता ने आग से मेरी झोपड़ी बचा ली. तभी से पूरे गांव में शीतला माता की पूजा की जाने लगी.

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