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तीन युवकों को मर्चेंट नेवी में नौकरी के बहाने ईरान ले जाकर कराई मजदूरी

शिवम गुप्ता ने ऑफिस बुलाकर उनका इंटरव्यू लिया, जहां इंटरव्यू पैनल में शामिल एक व्यक्ति ने खुद को मर्चेंट नेवी में कैप्टन बताया। इंटरव्यू के बाद एक फर्जी ज्वाइनिंग लेटर देकर आशू को बताया गया कि उसकी नौकरी ईरान में डेक कैडेट के रूप में एमवी अपामा नामक जहाज पर लगी है : पीड़ित आशू

लखनऊ : राजधानी में जालसाजों ने तीन बेरोजगार युवकों को मर्चेंट नेवी में अधिकारी बनाने का झांसा देकर लाखों रुपये ऐंठकर ईरान भेजा। तीनों जब ईरान पहुंचे तो उन्हें मर्चेंट नेवी में नौकरी दिलाने के बजाय दस दिनों तक बंधक बनाकर तेल तस्करी, मछली पकड़वाने समेत मजदूरी के अन्य काम कराए गए। पीड़ितों ने बताया कि किसी तरह पीएमओ में अपने परिचित को उन्होंने फोन किया, तब एजेंट ने उनके पासपोर्ट वापस किए और वे फ्लाइट से ईरान से दुबई फिर दुबई से मुंबई और वहां से लखनऊ आ सके। पीडि़तों ने पिछले सप्ताह इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में चार जालसाजों पर एफआइआर दर्ज कराई है। मूलरूप से सीतापुर के बिसवां निवासी आशू सिंह लखनऊ के निलमथा में अपने मामा के घर रहते हैं। आशू सिंह के मुताबिक शिवम गुप्ता, राजेश गुप्ता और सूरज शाही ने खुद को नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी का रिक्रूटमेंट एंड प्लेसमेंट अधिकारी बताते हुए केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय से पंजीकृत एजेंट बताया। जालसाजों ने हजरतगंज के टीएस टॉवर में एक्रॉस सी मैरीटाइम नाम की कंपनी का बाकायदा ऑफिस बना रखा था। साथ ही इपीएफओ और ईएसआईसी में रजिस्ट्रेशन कराने की जानकारी भी दी। आशू के मुताबिक, उनके झांसे में आकर वे अपने दोस्त लखनऊ निवासी शुभम सिंह व इटावा निवासी दीपक को साथ लेकर इसी वर्ष फरवरी में जालसाजों के ऑफिस पहुंचे। वहां उन्हें बताया गया कि वे लोग ईरान की एनआइटीसी में सौ से अधिक लोगों को रोजगार दिला चुके हैं। प्रति व्यक्ति 3.80 लाख रुपये लेकर संबंधित कंपनी में ऑफिसर बनाने का दावा किया। पीडि़तों का दावा है कि आरोपित सैकड़ों बेरोजगारों से ठगी कर चुके हैं। जालसाजों ने आशू से 3.80 लाख रुपये, शुभम से 1.50 लाख रुपये और इटावा के दीपक से चार लाख रुपये ऐंठ लिए। आशू ने नॉटिकल साइंस से बीएससी की पढ़ाई की है। तीनों को फ्लाइट से ईरान भेजने के नाम पर अलग से 20-20 हजार की रकम ली गई। इस मामले में पुलिस अभी विवेचना कर रही है और आरोपित फरार हैं। पीड़ित ने दावा किया कि जिस होटल में उन्हें बंधक बनाया गया था, वहां पहले से 15 भारतीय और तीन पाकिस्तानी नागरिक बंधक थे। बंधक बनाए गए लोगों में से दो भारतीय नागरिक अब भी आशू के संपर्क में हैं, जिनके पासपोर्ट समेत अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। इस कारण वे भारत वापस नहीं आ पा रहे हैं। आशू ने बताया कि जब वे अपने दोनों दोस्तों के साथ ईरान पहुंचे तो उन्हें एक व्यक्ति लेने आया, जिसने खुद को एनआइटीसी का ड्राइवर बताया। तीनों को ईरान के बुशेहर सिटी के सिराज एयरपोर्ट ले जाया गया, जहां एनआइटीसी का अधिकारी बताकर एक व्यक्ति ने उनको ज्वाइनिंग कराने का दावा कर उनके पासपोर्ट और सीडीसी ले ली। इसके बाद दस दिन तक तीनों को एक होटल में बंधक बनाकर बंधुआ मजदूरों की तरह काम कराया गया और अमानवीय यातनाएं दी गईं। यहां खाना तो दूर पानी तक नहीं दिया जाता था।

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