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पंजाब में इस बार कई धर्मों के नाम पर लड़े जायेंगे लोकसभा चुनाव

चंडीगढ़ : पंजाब में इस बार के लोकसभा चुनाव प्रमुख रूप से सिख धार्मिक मुद्दों पर लड़े जाएंगे। पहले शिरोमणि अकाली दल पर धर्म के नाम पर सियासत करने का आरोप लगता था। इस बार कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, शिरोमणि अकाली दल (टकसाली), आम आदमी पार्टी, पंजाबी एकता पार्टी और यहां तक की भाजपा भी सिख धार्मिक मुद्दों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि कहने को तो पंजाब में और भी मुद्दे हैं, परन्तु वे चुनावी चर्चा में नहीं हैं। धार्मिक और नशे का मुद्दा आपस में जोड़ दिया गया है। राजनीतिक पार्टियां इस मामले में वास्तविक रूप से कितनी गंभीर हैं, यह एक अलग चर्चा का मामला है, परन्तु मतदाता इन मुद्दों के बहाव में आसानी से बहते नजर आ रहे हैं| इसलिए एक-दूसरे को दबाने के लिए भी राजनीतिक दल इन दोनों मुद्दों का जी भर के इस्तेमाल कर रहे हैं।

वैसे तो वर्ष 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता प्राप्त करने के लिए सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथों का इस्तेमाल अपनी जनसभाओं में लोगों को विश्वास दिलाने के लिए किया था। इसे लेकर कांग्रेस अभी भी आरोपों के घेरे में बनी हुई है। जिला फरीदकोट के बरगाड़ी में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी और इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फायरिंग के विरोध में खडूर साहिब से कांग्रेस के विधायक रमनजीत सिंह सिक्की का 19 अक्टूबर , 2015 को त्यागपत्र कांग्रेस पार्टी के धार्मिक एजंडे का एक हिस्सा बन गया था| हालांकि अतीत में 1984 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर सेना की करवाई के विरोध में अमरिंदर सिंह ने भी कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था। हालत यह कि अब तो पंजाब में हर पार्टी के चुनावी एजेंडे में सिख धर्म का मुद्दा है। कांग्रेस के एजेंडे में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी का मामला है, क्योंकि उसकी विरोधी पार्टी शिरोमणि अकाली दल इससे संकट में आती है। अतीत के विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल पराजय के रूप में इसका स्वाद चख चुकी है। कांग्रेस के तरकश में करतारपुर गलियारा का एक अन्य धार्मिक मुद्दा भी है, जिस पर अब खुलकर राजनीति होने लगी है।

केंद्र की मोदी सरकार में हिस्सेदार शिरोमणि अकाली दल करतारपुर गलियारा का श्रेय लेने की दौड़ में सबसे आगे है। सिख विरोधी दंगों के दोषियों को मोदी सरकार में सजाएं भी उसके एजेंडे में शामिल है। भाजपा ने करतारपुर गलियारे के लिए प्रधानमंत्री की सक्रियता पर गुरदासपुर में नरेंद्र मोदी के सम्मान में एक बड़ी रैली भी कर दी। उधर,आम आदमी पार्टी सिख धर्म ग्रंथों की बेअदबी के मामलों को लगातार उठा रही है| उसके निशाने पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस दोनों ही हैं। उसने ग्रन्थ बेअदबी मामले की जांच करने वाले प्रथम आयोग, जस्टिस जोरा सिंह आयोग के तत्कालीन चेयरमैन जोरा सिंह को ‘आप’ में शामिल करके और उनकी रिपोर्टों को सार्वजानिक करके अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। उधर, शिरोमणि अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया ने आप के केंद्रीय नेता पर पंजाब में मानहानि का मुकदमा कर रखा है। आम आदमी पार्टी से बगावत करके बनी पंजाबी एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा धार्मिक मुद्दे पर प्रदर्शन, लम्बे मार्च कर चुके हैं| उनके देश व विदेशों में बैठे गर्म-ख्याली सिख नेताओं के साथ संपर्कों को लेकर वे चर्चा और विवादों में रहे हैं। धार्मिक मुद्दे की अहमियत इस बात से भी नजर आती है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भी यह मुद्दा विचाराधीन है।

बेअदबी मामले में जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होकर चर्चा में आ चुकी है। इस मामले की जांच सीबीआई से लेकर पंजाब सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल द्वारा की जा रही है। बेअदबी मामलों की जांचों का मुद्दा तीन वर्षों से खिंचा चला आ रहा है और कांग्रेस इसका इस्तेमाल सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस की भूमिका को भुलाने के लिए जी भर के इस्तेमाल करने के इरादे में है। टीवी चैनलों में बेअदबी और नशों के मुद्दों के बहस अभी भी प्रमुख होती है| मुद्दा चाहे कोई हो, घूमकर इसी बात पर आ जाता है। हो सकता है कि चुनाव अधिनियम में धार्मिक मुद्दों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों को ऐसा करने से रोके, परन्तु धर्म का मुद्दा सार्वजानिक रूप में मुख्य मुद्दे का रूप ले चुका है। दिलचस्प बात यह भी है कि अन्य वे सब मुद्दे किसानों के संकट, कर्मचारियों के मामले, बेरोजगारी, बेरोजगारी भत्ता, भ्रष्टाचार, महंगाई, रेत माफिया, शराब माफिया इत्यादि अब प्रमुख मुद्दा नहीं हैं।

इस बारे में अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि जो आरोप कभी उनकी सरकार पर लगते थे| उन्हें ही आधार बनाकर कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी, वे तो आज भी बरकरार हैं। कांग्रेस के नेता शराब माफिया में बड़े हिस्सेदार हैं| उनके विधायक खुलेआम अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता हरपाल सिंह चीमा ने हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत में कहा कि पहले सभी तरह के माफिया को अकाली दल का संरक्षण था, अब कांग्रेस को है। हालांकि पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ इससे इत्तफाक नहीं रखते। उनके अनुसार, अकालियों ने धर्म का दुरुपयोग किया है, उसे कांग्रेस रोकेगी। उनका दावा है कि कांग्रेस ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामलों की जांच को निष्पक्ष ढंग के करवाने का प्रयास किया है, जबकि नशे के सौदागरों की कमर तोड़ दी गई है।

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