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पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम से CBI को चाहिए वो खास फाइलें, जिनमें छिपा है सौदों का राज

आईएनएक्स मीडिया केस मामले की जांच कर रहीं दोनों जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी का अभी तक यही आरोप रहा है कि पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने जांच में कभी सहयोग नहीं किया और हर सवाल का गोलमोल जवाब दिया। वहीं अब चिदंबरम 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर हैं। इस दौरान जांच एजेंसी की कोशिश रहेगी कि चिदंबरम वे दस्तावेज मुहैया कराएं, जो उन्होंने 6 जून 2018 को सीबीआई के सामने पेश करने का भरोसा दिलाया था।

चुनौती हैं दस्तावेज हासिल करना
जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि रिमांड के दौरान चिदंबरम से वित्त मंत्रालय के अहम दस्तावेज हासिल करने की कोशिश की जाएगी। हालांकि ये दस्तावेज हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। क्योंकि आरोपी पहले भी ऐसे दस्तावेज सीबीआई को देने से बचते रहे हैं। गुरुवार को सीबीआई की विशेष अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई का पक्ष रखते हुए दलील दी थी कि चिदंबरम ने कुछ दस्तावेज एजेंसी को मुहैया कराने थे। चिदंबरम ने सीबीआई को भरोसा दिलाया था कि वे 6 जून 2018 को सभी दस्तावेज साथ लेकर आएंगे।

नहीं लाए थे दस्तावेज
तुषार मेहता ने अदालत को बताया था कि उस दिन पूछताछ में शामिल होने के लिए चिदंबरम आए जरूर, लेकिन उन्होंने एक भी दस्तावेज पेश नहीं किया। सीबीआई ने उनके सामने जो दस्तावेज रखे, उन्होंने उन पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जाच एजेंसी के मुताबिक ये बहुत अहम दस्तावेज हैं और 2007-08 में वित्त मंत्री रहने के दौरान उनके दफ्तर से वे दस्तावेज जारी हुए थे। हालांकि इन पर चिदंबरम के दस्तखत नहीं थे, लेकिन कागजात के किनारे पर कुछ लिखा हुआ था, जिनका संबंध वित्त मंत्री से था। जैसे, वित्त मंत्री चाहते हैं, अगर संभव हो तो इस फाइल को आगे बढ़ा सकते हैं, आप अपनी स्वेच्छा से फैसला लें।

कार्ति के दोस्तों की भी कंपनियां शामिल
आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड से डाउनटाउन स्ट्रीम के माध्यम से आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया गया था। इसके लिए एफआईपीबी की मंजूरी नहीं ली गई। इतना ही नहीं, आईएनएक्स समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत में बताया कि वित्त मंत्रालय की यूनिट एफआईपीबी के अफसरों पर कार्ति पी चिदंबरम का प्रभाव रहा था। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने कथित तौर पर 17 मामलों में कार्ति चिदंबरम और उनकी स्वामित्व वाली विभिन्न मुखौटा कम्पनियों को फायदा पहुंचाया था। इनमें कार्ति के दोस्तों की कंपनियां भी शामिल थीं, जिनमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर कीर्ति का शेयर बताया गया है।

मनी ट्रेल की सूची तैयार
जांच एजेंसी ने मनी ट्रेल की एक सूची भी तैयार की है, जिसमें कार्ति चिदंबरम के कथित तौर पर घूस लेने के करीब 67 पन्नों की एक फाइल भी शामिल है। एजेंसी पहले ही कह चुकी है कि कार्ति ने अपने पिता के दम पर आईपीसी और पीएमएलए का अपराध किया है। पिछले साल छह जून को जांच अधिकारी ने जब उनसे मनी ट्रेल के संबंध में सवाल किया तो वे उनकी आंखों में आंखें डालकर मुस्कुराने लगते थे।

रिमांड के दौरान विदेश में चिदंबरम परिवार की जो चल अचल संपत्तियां हैं, उसके कई दस्तावेज जांच एजेंसी ने हासिल कर लिए हैं। इनमें दर्जनों मुखौटा कम्पनियां और फर्जी खाते शामिल हैं।

कार्ति के खाते में आए 1.11 करोड़ रुपये
इसके अलावा एएससीपीएल की बेलेंस सीट, क्रिया एफएमसीजी डिस्ट्रिब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड, सीबीएन प्लेसमेंट, नॉर्थस्टार सॉफ्टवेयर, यूके की कॉस्टल गॉर्डन अड्वाइजरी लिमिटेड, टाइटस टेनिस लिमिटेड और स्पेन फाइबर आदि कंपनियों के दस्तावेज पी चिदंबरम के सामने रखकर पूछताछ की जाएगी। साथ ही वासन हेल्थकेयर, एडवांटेज, आईएस ब्रिक और डीसीबी बैंक से हुए लेनदेन पर भी सवाल पूछे जाएंगे। स्पेन फाइबर से कार्ति की कंपनी एएससीपीएल के खाते में 1.11 करोड़ रुपए जमा कराए गए थे। इस बारे में भी चिदंबरम से पूछताछ होगी।

सीबीआई के मुताबिक उनका खास जोर आरोपी से वित्त मंत्रालय के वे दस्तावेज हासिल करना रहेगा, जिनमें उनके द्वारा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आदेश या आग्रह जैसी कुछ नोटिंग की गई है। कुछ दस्तावेज ऐसे भी बताए गए हैं, जिनमें कार्ति की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए पी. चिदंबरम ने इनमें बी और ओब्लाइज जैसे शब्द लिखे हैं। कुछ दस्तावेज सीबीआई के पास हैं, जिन्हें चिदंबरम के सामने रखकर पूछताछ की जाएगी।

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