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बजट 2019 पर टिकी सब की निगाहें, ये बड़े एलान कर सकती है सरकार

पांच जुलाई को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साल 2019-20 का बजट पेश करेंगी और इससे ठीक पहले वे आर्थिक सर्वेक्षण लेकर आएंगी। बजट से सरकार की अर्थव्यवस्था को लेकर विजन का पता चलता है और इसीलिए इसपर सबकी नजरें रहेंगी। जहां फरवरी में अंतिरिम बजट में हुई घोषणाओं को भी अंतिम रूप में पेश किया जाएगा।

सरकार के लिए बड़ी चुनौती
स्टॉक ब्रोकिंग कार्वी के सीईओ राजीव सिंह का कहना है कि, जैसा कि हमें पता है कि बजट बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका है और अर्थव्यवस्था को सुस्ती के दौर से दोबारा पटरी पर लाना नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी कठिन दौर से गुजर रही है, व्यापार युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है और इसीलिए सरकार के लिए चुनौती बड़ी है।

अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार के पास दो रास्ते
सरकार और बैंकिंग रेगुलेटर दोनों को मिलकर मौजूदा लिक्विडिटी की किल्लत से निपटने की जरूरत है। अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार सैद्धान्तिक रूप से दो रास्ते अपना सकती है। पहला इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया जाए और दूसरा सरकारी बैंकों को रिकैपिटलाइज किया जाए। साथ ही खपत बढ़ाने और आयकर दाताओं और MSME सेक्टर को अतिरिक्त राहत देने से भी इस दिशा में मदद मिलेगी।

कॉरपोरेट टैक्स पर हो सकती है घोषणा
कॉरपोरेट टैक्स की बात करें तो बजट में इसकी 25 फीसदी की थ्रेसहोल्ड लिमिट बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल जिनका टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से कम है, उनपर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स लागू है, इस लिमिट को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक किया जा सकता है। हालांकि सरकार ने स्टार्टअप्स को एंजेल टैक्स नियमों में ढील देकर कुछ राहत जरूर दी है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

इक्विटी कल्चर को दिया जा सकता है बढ़ावा
हमारा मानना है कि पिछले साल पेश किए गए लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) के बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है। लोगों के निवेश और ऊंची बचत को फाइनेंस के लिए भारत में लांग टर्म इक्विटी कैपिटल की जरूरत है। आम तौर पर कंपनियां कर्ज के रूप में पूंजी जुटाती हैं, पूंजी को बढ़ने के लिए वक्त की दरकार होती है। हालांकि कंपनियां शेयर, कर्ज या हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट से फाइनेंस कर सकती हैं। हमें लगता है कि एलटीसीजी को कतरकर देश मे इक्विटी कल्चर को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही जब एलटीसीजी है तो सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स यानी सीटीटी को भी हटाने और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन नियमों को भी आसान बनाने की जरूरत है।

बजट के वक्त शेयर बाजार दरअसल निवेशकों को लंबे निवेश के मौके देता है। यहां कुछ चुनिंदा सेक्टर और कंपनियां हैं जिन्हें बजट में फायदा हो सकता है।

एग्रीकल्चर
कृषि विकास बढ़ाने के लिए इस सेक्टर में ढांचागत सुधार की जरूरत है, लेकिन इसका असर दिखने में वक्त लगेगा। हालांकि त्वरित दिक्कतों से निपटने के लिए कुछ घोषणाएं हो सकती हैं। अंतिरिम बजट में एक इनकम सपोर्ट स्कीम का एलान हुआ था। इस बार फसल बीमा योजना में कुछ बदलाव जैसी और योजनाओं का एलान हो सकता है। साथ ही किसान कर्ज पर खर्च के साथ सिंचाई और ग्रामीण बुनियादी ढांचा पर सरकार बजट बढ़ा सकती है। कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का भी बजट बढ़ने की उम्मीद है। इस तरह के कदमों से किसानों के बीच माहौल सुधरेगा और कुल कृषि जगत में एक सकारात्मक संकेत जाएगा। शेयरों की बात करें तो यूपीएल, केआरबीएल, एलटी फूड्स, एपेक्स फ्रोजेन और बेयर क्रॉप साइंस जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर
हमारा मानना है की सरकार भारतमाला, सागरमाला, सस्ते घर, शौचालय और जल संचय जैसे बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट पर फोकस कर सकती है। साथ ही रेलवे के आधुनिकीकरण, विद्युतीकरण, नई रेल लाइन बिछाने और यात्री सुरक्षा पर भी सरकार का फोकस रहेगा। घरेलू कैपिटल गुड्स सेक्टर में समानता लाने के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव की भी जरूरत है। एचएनएआई से नए प्रोजेक्ट मिलने पर अशोक बिल्डकॉन, केएनआर कंस्ट्रक्शन, एचजी इंफ्रा, दिलीप बिल्डकॉन, पीएनसी इंफ्रा के ऑर्डर बुक में वृद्धि हो सकती है। रेलवे के लिए आवंटन बढ़ने से टीमकेन इंडिया और एसकीएफ इंडिया, जो कि हाई स्पीड वेयरिंग बनाती हैं, जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है।

ऑटो सेक्टर
जिस तरह से भारतीय ऑटो इंडस्ट्री गिरती बिक्री के लंबे दौर से गुजर रही है, ऐसे में इस इंडस्ट्री ने सभी वाहनों पर मौजूदा 28 फीसदी जीएसटी दर को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग की है। कर की दर में कमी होने से गाड़ियों के दाम में कमी आएगी। जिससे डिमांड बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो कि पिछले 11 महीने से गिरती जा रही है। हालांकि इसे जीएसटी काउंसिल से मंजूरी की जरूरत होगी, जो जून में नहीं मिल सकी है। साथ ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को सपोर्ट के लिए पूरी तरह से विदेश से इम्पोर्ट होने वाली गाड़ियों पर कस्टम ड्यूटी मौजूदा 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 पीसदी किया जा सकता है।

इसके अलावा पुराने, असुरक्षित और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को रोड से हटाने के लिए सरकार किसी रियायत आधारित योजना का एलान कर सकती है। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर पहले ही प्रतिबद्धता दिखा चुकी है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी इलेक्टिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है। इसके अलावा रोड इंफ्रा पर निवेश बढ़ने से टाटा मोटर्स समेत अशोका लेलैंड, महिंद्रा और आयशर मोटर्स जैसी कमर्शियल वाहन निर्माता कंपनियों को फायदा संभव है।

हेल्थकेयर
मोदी सरकार की दूसरी पारी में भारत सरकार की प्रमुख योजना आयुष्मान भारत पूरी तरह से फोकस में रहने की उम्मीद है। आयुष्मान भारत या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को अपग्रेड करने का प्रस्ताव या इसके बजट में वृद्धि का एलान हो सकता है। देश मे अस्पतालों की बेड क्षमता बढ़ाने, अस्पताल निर्माण करने वाली कम्पनियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके 100 बिस्तरों तक वाले अस्पताल बनाने के खर्च पर 35AD के तहत छूट सीमा 100 फीसदी से बढ़कर 150 फीसदी करने की जरूरत है। इस तरह के एलान अगर होते हैं तो थायरोकेयर, डॉ. लालपैथलैब्स, अपोलो अस्पताल और नारायणा हृदयालय जैसी कंपनियों को फायदा होगा।

डिफेंस
हमें उम्मीद है कि टैंक, बख्तरबंद वाहनों, डिफेंस एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट, पनडुब्बी जहाज, हथियार और गोले बारूद के एक्सक्लुसिव डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग एंड असेम्बलिंग संयंत्रों के लिए स्पेशल एडिशनल इन्वेस्टमेंट अलाउंस का एलान हो सकता है। जिससे BEL और प्रीमियर एक्सप्लोसिव जैसी कंपनियों को फायदा होगा।

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