अद्धयात्म

बिछिया पहनने के समय महिलाएं कभी गलती से भी ना करें ये काम, नही तो पति पर आ सकती है बड़ी विपत्ति

हर स्त्री को साज-सिंगार का बहुत ही ज्यादा शौक रहता है, ऐसे में विवाह के बाद उनके सिंगार की सूची तो ओर भी ज्यादा बढ़ जाती है। सिंगार में काफी ऐसे चीजें होती है, जो उनके सुहागिन होने का प्रतीक होती है। ऐसे में इन महिलाओं के लिए जहां मंगलसूत्र और सिंदूर शुहगिन होने की सबसे बड़ी निशानी है। तो वहीं एक सबसे बड़ी निशानी शुहागिनों के लिए उनके पैरों की बिछिया भी होती है। यह बिछिया स्त्रियों के लिए काफी ज्यादा महत्व रखती है। स्त्रियों की साज श्रृंगार की सूची में पांव में पहनी जाने वाली बिछिया का एक विशेष महत्त्व होता है। क्योंकि बिछिया भी स्त्री के वैवाहिक होने की सूचक होती है।

भारतीय परंपरा के अनुसार यह सब साज – सिंगार पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, जो हमारी संस्कृति व संस्कारों का भी एक अभिन्न हिस्सा है। तो वहीं यह वैवाहिक स्त्री की सुंदरता में चार चांद लगाने का भी कार्य करता है। लेकिन कई बार अज्ञानता वश साज – सिंगार में स्त्रियां कुछ ऐसी गलतियां कर बैठती हैं। जिसके कारण उनके शुहाग को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पैरो की बिछिया पति के आर्थिक स्तिथि को प्रभावित करता है, जो अगर गलत ढंग से हो तो पति को दरिद्र भी कर सकता है।

ज्योतिष शास्त्र की माने तो पति व पत्नी दोनो पर ही सदैव सूर्य और चंद्रमा की कृपा बनी रहती है। ऐसे में जो स्त्री पैरो में बिछिया पहनती है, तो उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि यह सिर्फ चांदी की ही हो कभी भी भूल कर आपको अपने पांव में सोने की बिछिया नही पहननी चाहिए। इसके साथ ही आपको कभी अपनी उंगली में ढीली बिछिया नही पहननी चाहिए और ना ही अपनी बिछिया कभी किसी और को देनी चाहिए। यदि आप ऐसा करती है, तो ऐसा करने से आपका पति बीमार व गरीब दोनों ही हो सकता है।

बिछिया को पहनने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। इसे पहनने से स्त्री की मासिक धर्म नियमित रूप से आता है। इसके साथ ही दाहिने पैर की दूसरी उंगली में बिछिया पहनने से गर्भधारण करने में आसानी होती है। क्योंकि चांदी एक सुचालक है, यह पृथ्वी ध्रुवीय ऊर्जा को ठीक करके शरीर तक पहुंचती है। जिससे हमारा शरीर पूरी तरीके से तरोताजा हो जाता है। इसके साथ ही जो स्त्री बिछिया पहनती हैं, उन्हें गर्भधारण करने में किसी भी तरह की समस्या का सामना नही करना पड़ता है क्योंकि पैरों के अंगूठे के पास दूसरी उंगली में एक विशेष प्रकार की नस होती है, जो सीधे जाकर गर्भाशय से जुड़ी होती है, जो गर्भाशय को नियंत्रित करने का कार्य करती है, इससे रक्तचाप भी नियंत्रित रहती है।

Related Articles

Back to top button