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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तारी पर थोड़ी देर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी शुरू

वामपंथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ पूरे देश में छापेमारी के एक दिन बाद मामला अदालतों में पहुंच गया है और उच्चतम न्यायालय ने मामले में तुरंत सुनवाई का आग्रह करने वाली अर्जी स्वीकार करते हुए कहा है कि इस पर आज ही दोपहर बाद सुनवाई होगी। वहीं, दूसरी ओर गिरफ्तार किये गये पांच कार्यकर्ताओं में से तीन को बीती देर रात पुणे ले जाया गया जिन्हें आज स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा। वहीं एनएचआरसी ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तेलगू के जाने-माने कवि वरवरा राव, कार्यकर्ता वेर्नन गोन्साल्विज और अरुण फरेरा को बीती देर रात पुणे लाया गया। माओवादियों से संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किये गए अन्य दो लोगों में ट्रेड यूनियन से जुड़ी कार्यकर्ता और पेशे से वकील सुधा भारद्वाज और कार्यकर्ता गौतम नवलखा शामिल हैं। भारद्वाज को फरीदाबाद से तथा नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि नवलखा और भारद्वाज को उनके घरों में ही पुलिस हिरासत में रखा गया है और उन्हें सिर्फ अपने वकीलों से मिलने तथा बात करने की अनुमति है। भीमा-कोरेगांव मामले के सिलसिले में हुई इन गिरफ्तारियों के विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने आज उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका का उल्लेख कर इस पर आज ही सुनवाई करने का अनुरोध किया। न्यायालय इस याचिका पर अपराह्न पौने चार बजे सुनवाई के लिये तैयार हो गया। याचिका दायर करने वालों में रोमिला थापर के अलावा प्रभात पटनायक, देवकी जैन, सतीश देशपाण्डे और माजा दारूवाला शामिल हैं।

वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि वह महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर आज दोपहर सवा दो बजे सुनवाई करेगा। दरअसल महाराष्ट्र पुलिस ने कहा था कि दस्तावेजों की अनुवादित प्रति अभी तक तैयार नहीं हुई है, इसलिए अदालत ने सुनवाई का समय भोजनावकाश के बाद का रखा।

अदालत ने कल निर्देश दिया था कि उसके द्वारा मामले की सुनवाई किये जाने से पहले नवलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के दस्तावेज मराठी में हैं, इसलिए वे स्पष्ट नहीं है।

वहीं, भारद्वाज के मामले में फरीदाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने महाराष्ट्र पुलिस को ट्रांजिट रिमांड की अनुमति दे दी थी। हालांकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा ट्रांजिट रिमांड के आदेश पर तीन दिन का स्थगनादेश जारी होने के बाद आज सुबह मजिस्ट्रेट को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।

अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद में राव, मुंबई में गोन्साल्विज और फरेरा, फरीदाबाद में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के आवास पर कल एक साथ छापेमारी की गई।

अधिकारी ने बताया कि इसके बाद राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्साल्विज और नवलखा को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया जो विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, नस्ल, स्थान या जन्म, आवास, भाषा के आधार पर वैमनस्यता बढ़ाने और सद्भावना को नुकसान पहुंचाने के कृत्य से संबंधित है।

पुलिस अधिकारी ने विस्तृत जानकारी दिए बिना बताया कि गिरफ्तार किये गये लोगों के खिलाफ उनकी ‘कथित नक्सल गतिविधियों’ को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम सहित भादंसं की कुछ अन्य धाराएं भी लगाई गयी हैं।

वहीं राहुल गांधी का कहना है कि नए भारत में सिर्फ एक ही एनजीओ के लिए जगह है और उसका नाम आरएसएस है। बाकी सभी एनजीओ बंद कर देने चाहिए। सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दीजिए और शिकायत करने वाले को गोली मार दीजिए। उन्होंने केरल में बाढ़ पीड़ितों पर बोलते हुए नागपुर को निशाना बनाया। भीमा कोरेगांव हिंसा पर कार्रवाई के बाद राहुल इस मुद्दे को हथियार बनाकर आरएसएस विचारधारा को निशाना बना रहे हैं।  

राहुल के सीधे आरएसएस को टारगेट करने के बाद किरण रिजिजू ने उन पर हमला बोला। रिजिजू ने ट्वीट करके कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए माओवादीओं से नंबर एक का खतरा बताया था। लेकिन राहुल गांधी माओवादियों का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति से ऊपर राष्ट्र की सुरक्षा है। 

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