स्वास्थ्य

मातृत्व अवकाश का पूरा खर्च उठाएगी अब केंद्र सरकार

नई दिल्ली। मातृत्व अवकाश से कंपनियों पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ की भरपाई सरकार कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि सरकार एक ऐसा कॉर्पस (कोष) बना सकती है जिसके जरिए कंपनियों को आर्थिक मदद दी जाएगी। हाल के एक सर्वे के मुताबिक मातृत्व अवकाश 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने पर कंपनियों में महिलाओं की भर्ती कम हुई। वहीं, कंपनियों का दावा है कि महिला कर्मचारियों की भर्ती और अवकाश अवधि बढ़ने से खर्च बढ़े हैं।
अतिरिक्त बोझ के आंकड़े मंगाए
सूत्रों ने हिंदुस्तान को बताया है कि सरकार ने सभी हितधारकों से मुलाकात कर कंपनियों पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ के ताजा आंकड़े मंगाए हैं। उसी आधार पर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा कि कंपनियों की मदद कैसे हो।
मदद का फार्मूला
सरकार ने कंपनियों में महिला कर्मियों के व्यवहार और खर्चे में फर्क की जानकारी मांगी है। ईपीएफओ से भी मातृत्व अवकाश के नए कानून के बाद महिलाओं की नौकरी में गिरावट के आंकड़े मंगाए हैं। इसे देखने के बाद ही सरकार उन कंपनियों और सेक्टर की पहचान करेगी जहां असर सबसे ज्यादा हो रहा है। उसी हिसाब से मदद का फॉर्मूला तय होगा।
पहले चरण में इन्हें फायदा संभव
पहले चरण में छोटी और मझोली कंपनियों को फायदा मिल सकता है जहां सबसे ज्यादा असर की आशंका है। समीक्षा के बाद स्कीम को सभी कंपनियों के लिए लागू किया जाएगा। अपने आकलन के बाद श्रम मंत्रालय कोष के लिए जरूरी खर्च का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय भेजेगा।
1. 2016 में 96% महिलाएं अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती हैं इनमें 36 फीसदी था यह आंकड़ा।
2. 04 फीसदी(56.6) ही औपचारिक रोजगार का हिस्सा हैं।
3. अनौपचारिक क्षेत्र से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 11 से 18 लाख महिलाओं की नौकरी जा सकती है।

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