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सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुआ राहुल गाँधी और अखिलेश यादव का गठबंधन

चुनावी अभियान की शुरुआत 27 साल, यूपी बेहाल के नारे के साथ हुई थी, जिससे साफ जाहिर होता है कि गठबंधन का कोई आइडिया नहीं था, लेकिन इसी बीच सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक हो गई।

हैदराबाद : 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के अहम चुनावी रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने अब नई पारी का आगाज किया है। आम चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए कैंपेन करने के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश कुमार, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर और यूपी में कांग्रेस के लिए काम किया, अब वह खुद राजनीति में उतर गए हैं और नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में नंबर दो की जगह दी है। जेडीयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद मिलने के बाद प्रशांत किशोर ने बताया कि यूपी चुनाव एक शादी की तरह था, जहां दूल्हा और दुल्हन भाग गए और शादी की सारी जिम्मेदारी आयोजक को ही उठानी पड़ी। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन पर प्रशांत किशोर ने बताया, हमने कैंपेन की शुरुआत 27 साल, यूपी बेहाल के नारे के साथ की, जिससे साफ जाहिर होता है कि गठबंधन का कोई आइडिया नहीं था, लेकिन इसी बीच सितंबर 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक हो गई। जिसके बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं में इस बात पर सहमति बनी कि इन हालातों में अकेले चुनाव लड़ना अच्छा निर्णय नहीं होगा। गौरतलब है कि भारतीय सेना ने 2016 में 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों पर प्रहार किया था। भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना की इस कार्रवाई को चुनाव प्रचार का हिस्सा भी बनाया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के गठजोड़ के बाद यूपी में चुनाव के हालात बदल गए। कांग्रेस के नारों में बदलाव देखने को मिला, प्रदेश की दीवारों पर लिखे, 27 साल यूपी बेहाल जैसे नारों को पुतवा दिया गया और नए नारे बनाए गए। जिनमें ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ जैसे स्लोगन चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया, हालांकि, सपा-कांग्रेस का गठबंधन भी काम नहीं आया और बीजेपी ने क्लीन स्वीप कर दिया।

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